पद्म पुराण भाषा - षष्ठ उत्तरखंड | Padam Puran Bhasha - Shashth Utarkand

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Padam Puran Bhasha - Shashth Utarkand  by राम बिहारी मुकुल - Ram Bihari Mukul

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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পপ जनक | ० ज ० प “कल जिए की जननी लत नाना 3०] ५ পা र - परुष वत्तेमानहैं ३ ति हैं ४ पिंगल इवेतवर्ण जटाको এ पष्ठउत्तखएंड। - ४७ # दरि का नाशकरे मोक्ष सुख ओर शीघ्र नाशरहित कल्याण को ¢ ৯ देवे और हे नारदमुनि विधिसे सुनके दानको भी. मनुष्यकरे ७० ॥ & + इतिग्ीपञ्महापुरणेप्वपवारतताद्त्रपिहितायासुत्तरसणडमरे 8. शनारदसंवादेवीजसंसुचयोनामप्रथमोःध्यायः १॥ .. | व ष दूसरा अध्याय ॥ डर . :- बद्रीनारायणमाहात्य और महादेव के ऊपर नारायण .. ~, ` ~ के प्रसन्न होकर वरदान देना ॥ है महादेवजी नारंदमुनिसे बोले कि एकलाख पशच्चीसहज़ार पर्व॑तों के बीचमें बड़ा पुण्यकारी उत्तम बदरिकाश्रम है १ जहां नरनारा- यण देव रहते हैं तिनके स्वरूप और तेजको इस समय कहताहूं २ हिमवान्‌ पंवेत के कैंगड़े पर कृष्ण के आकार नर नारायण ये दो परुष वत्तेमानहैं ३ तिनमें एक तो इवेतवर हैं और दूसरे इयाम- वण ह हिमवान्‌ पवतम जो जाते हैं सो उसीरास्ते से होकर जाते ठ एवे 1 धारण किये महापुमु नरजी हे ओर रथामवणे, जगत्‌ के आदि हाप्सु नारायए जी हे ५ चार भुजा वले महान्‌ पुरुष शोभासंयक्घ व्यक्त अव्यक्त सनातन हैं तिनकी ०१ ७७ ऽततराथण मे बड़ी पूजा होती हे ६ ओर दक्षिणायन सूर्यो मे बः. गहन पाला बहुत पडताहै इसे पूजा नहीं होती है ७ इससे ऐसा 1 हआहे और न होगा जहां पर देवता बसते हैं ओर ऋः गया के स्थान,भी हैं. ८ अग्निहोत्र ओर वेदके शब्द सदा सुनाई परते हे कोटि हत्या के नाशनेवाले तिनके दुशैन करने चाहिये. € সা अर नन्दा गंगाजी वहां पर हे तिन के स्नान करै स्नान के एरतहा बड़े पापोसे कूटजाताहै १० वहां संसारकेस्वामी निस्तंदेह ` पतह महादेवजी नारदसे कहते हँ कि हे नारद एक समयते मेने वहा.पर बड़ तपस्या की ११. तत्र भक्तं के ऊपर कृपा करनेवाज्ञ नारारहित पुरुष साक्षात्‌ दश्वर गरु डध्वज नारायणजी हमसे बो- ल [ॐ हुम उनहारे ऊपर बहुत असन्न हैं वरदान मांगिये१२ जो जो . गमनाहो उसको हम देवेंगे तुम केलासके स्वामी संसार के पालने




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