रीतियुगीन और आधुनिक स्वच्छंद काव्य धाराएँ | Riiti Yugiin Aur Aadhunik Svachchhanda Kaavya Dhaaraayen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
169 MB
कुल पष्ठ :
436
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्वच्छन्दतावाद|५
उसकी रचनाओं में प्रेम एवं कल्पना-वैभव का प्राधान्य है । कीटस' ने सवं सौन्दयं- `
मय सिद्धान्त को स्वीकारा तथा सौन्दर्य को सत्य एवं शक्ति का केर्ध मान कर अपने.
'काव्य में कल्पना और सौन्दर्य की व्यापक सृष्टि की । 'वड सवर्थ' मानव एवं प्रकृति
का कात्ि था। प्रकृति उसके लिये अप्रतिम सौन्दर्य की स्वामिनी, अनन्त प्रेम की
राशि तथा असीम आनन्द की स्रोत थी । “ 'वह ऐसा महान् रोमांटिक कवि है जिसने
शेवसपीयर से स्वतस्न्नता, मिल्टन से कलात्मक सौन्दर्य, स्पेन्सर से कल्पना-वैभव तथा
चॉसर एवं प्राचीन लोकगीतों से लोकतत्तवों को ग्रहण कर उन्हें ऐसे अनूठे समच्वय
में प्रस्तुत किया कि उसका काव्य रोमांटिक साहित्य का अक्षय निभि बन गया 17
“बड़ सवर्थ तथा 'कालरिज के संयुक्त प्रयासों से सन् १३४८ ई० में लिरिकल बैलेड्स
(1-%71051 9811845) का प्रकाशन हुआ जिसे 'स्वच्छन्दतावाद का घोषणा-पत्र' कहा
जाता है ।
स्वच्छन्दतावाद की प्रकृति तथा उसका स्वरूप-विश्लेषण :
पाएचात्य साहित्य में रोमांटिसिज्म शब्द का प्रयोग जिस साहित्य के लिए
किया गया उसके मन में शास्त्रवाद तथा नव्य शास्त्रवाद को जकडइबन्दियों के विरुद्ध
तोत्र विरोध का भाव था। इन विरोधों को ध्वनित-प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य...
ही यूरोप में स्वच्छनदतावादी साहित्य के नाम से अभिहित किया गया । वस्तुतः
साहित्य के क्षेत्र में पुरानी रूढ़ियों का परित्याग तथा नवीन विचारों का ग्रहण ही.
स्वच्छन्दतावाद है 1 पाश्चात्य तथा भारतीय विचारकों ने स्वच्छन्दतावाद की प्रकृति
तथा उसका स्वरूप-विश्लेषण करते हुए विभिन्न परिभाषाएँ दी हैं, जिससे उसकी
विशेषताओं पर प्रकाश पड़ता है
वछन्दतावाद के पाश्चात्य विचारक :
काम्टन-रिकेंट की दृष्टि में ' रोमाटिसिज्म, तीद्नतम संवेदता एवं उच्च काल््प- `
निशा अनुभूति की कलात्मक अभिव्यक्ति है, साथ ही, एक कल्पनापूर्ण हृष्टिकोण है.
जिसने अनेक कालनाभो को प्रभावित कियाद ओर देन तथा इतिहास पर भी अपना
प्रभाव डाला है । | इसमें रहस्य का एक सूक्ष्म-बोध, समृद्ध बौद्धिक कौतृहल और
1. डॉ० जगदीश गृप्त : स्वच्छन्द्रतावादी काव्यधारा का दाशंनिक विवेखशन,
पु० ५७, सन् १६७७ ई० |
2. रिता, हाला तथ, ডি 10৩ ৩২00551০010 धागा ০0610
था 01 500108764 इलाज, চ01817500 10881291156ডি60087 |
270 2110018 জিত 216 00106006002] 1811 15601655101 10 16০
20070, [07870105815 20 2078102065৩ 00106 01 शलभ पराकः 085 [~
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