आधुनिक पाक विज्ञान | Adhunik Pak Vigyan

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Adhunik Pak Vigyan by नृसिंह - Nrisingh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ह कक 9 भौजन करने से गुण विशेष उत्पन्न हो जाते दें । यदि आपने घामतिक भोजन ভিসা प्याज, क्हुपन शामिप शादि महय किया दो आपकी ছি रूमी मौ शद्ध नौं रदेगी शौर धित्त-एृतति शुद्ध न रहने से धर्म-कार्य में बाधा पढ़ने की भरद्वा रहती है। गर्भवती खी फे लि भोजन गर्भवती स्लो को भोजन सादा करना बाहिए इच्दाजुसार भोजन करना धादिपु । प्र्येक्न स्वास्थ्य कर भौजस जिस पर मन चले भ्रवश्य खाना चाहिए । भीजन हस्का, खूब पका दॉना चाहिए । मीशा कम और दूध धिक देना चाहिए । हरे शाक खूब पाने चाहिए । सन्‍्तरे का रस पोना चाहिए भौर सन्‍्तरा जाना चादिए । भौषधियों से बचते रद्ना चाहिए } ष्य पाथं बिलङ्कल न लेग पादिए । ख्वर को स्वतः शांत दोने देवा चादिए ! भौपधि मकेन चादिषु । নল ঘোর से कई खिर को गर्म॑पात हो गया है । साधारण ज्वर थो विशेष विंता का विषय नहीं है, परन्‍्ठु बढ़ा और मियादी ज्वर की फौरन बिक्रिस्सा करनो चाहिए । থান हमारे भारतीय भोजन विधान में पांव ( नाग बेल ) या सुप शधि को विशेष महत्व दिया जाता है । साधारण अवस्था के यहां भी पात का ब्यव- ঘা पाया जाता है। पाव मगदी, जगन्‍वायी, सद्दोये वाल्ले मगदो बढड़ला या देशों कई प्रकार के होते हैं 1. पान सद्मा न दोना चाहिए । धीड़ा लगाते समय चूना, सर, सुपारी का अन्दाज ठीक रखता घादिए । चूदा का दूना खेर होना चादिए। सुपारी ছে কাতান चरदिए। यद् साधारण पान का मसाला है, योढ़ा लिछोनियां शगार लोग से को देना चाहिए । जावियी; झुलदटी, गरो, इंच, पीपरमेंट इलायदो द्धि मी उलट 1 -सुनदते चौर रपरो गरक भो विपक्वे दै । सैर ष्टो याव यमे অনা টু | पूना, सोम, पध्दर न्ति सरो हेच हौ हई, मोहो का भी होता है 1




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