गीत | geet

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geet  by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चढकर, गिरकर, फिर उठकर, कहता तु अमर कहानी, गिरि के अचल में करता कूजित कल्याणी वारी; इस ध्वनि पर प्रतिध्वनि करती रह रह क्र रप्यत्त-माला, यह गुफा गीत यात्री है औओढे नव हर इुशाला। बे.जाना गाद छुनाता, जाना सा जी मे থালা, अवनी-तल ग्या, हीतल मे, तू शीतल धूम मचाता। ष्या तूने ही नारद क লালা নালা? क्या तुमसे ही माधत ने सीसा या मुरलि बजाना? क्या? मेरे गीत सघुर है? परद् गया तुम्झारा पानी! ऊँचे দা পন্থা मे, मेने कक কাশ কান ?




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