मालवा में युगांतर | Malva Mein Yugantar

Malva Mein Yugantar by कुमार रघुवीर सिंह - Kumar Raghuvir Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ ४ ~ प्रान्त का सारा प्रदेश मालवा के पठार पर ही स्थित चा। कई स्पानों में बहुत ही घने जंगल भी थे, भोर उनमें हिंसक पशु बहुतायत से रहते मे; कमी कमी तो नंगली हायी भी उनमें मिल जाते थे। आवबहवा न तो अधिक गरम भर न बहुद ठण्डी ही थी और मालवा की प्रीष्म की रातें बहत ही छुन्दर एवं भाहाद-जनक मानी नाती थी; प्रान्तीय पेदे तथा श्रन्‍्य शासकगर्णों के लिए पाम्रान्य के भ्रन्य स्थानों की तुलना में यह प्रान्त विलकृत्न ही भ्र्महणीय न था | इस रन्त मे भौ नेक वड़े वे शहर बसे हुए थे, कई व्यापार के भच्छे केन्द्र थे भौर उन्जेन की तरह कुछ शहरों का ऐतिहासिक महत्त्व भी बहुत था | प्रधान शहर ये ये,-उन्नैन, चन्दे, धार, माणे, गढ़ा ( माणडल ), सितेन, नएवर्‌, कोट, श्नौर मन्दसौर । ध्यापार के राजमार्ग इस प्रान्त के बढ़े शहरों को भारत के दूसरे बढ़े शहरों से सम्बद्ध करते थे श्रोर प्रधान सड़कों पर थोड़ी थोड़ी दूरी पर यात्रियों के 5हरने भादि की छुविधा का पूरा पूरा प्रबन्ध था।' शत्ाब्दियों से यह प्रान्त सस्ति वं सभ्यता का केन्द्र रहा था। कोई सवा सौ बरसों से झगलों की उन्न-छाया में रह कर उन के च : आकः शासन से लाम उठा कर मुग़ल साम्रान्य के साथ ही साथ यह प्रान्त भी समृद्धिशाल्री हो गया था. है १मनुचो, १, पू० ६८; चहार०, पुृ० १२०-१२१ घ। चहार की मार्गे- मर््शिका ( रोड बुक ) के आधार पर सरकार ने इन मागो का विवरण ভিজা हैं, उसमें जहां राह में कोई शहर या भाँव नहीं आता है बहाँ यात्रियों के এ ४ सरायों आदि का उल्लेख कियः इण्डिया०, पु० प्प, ১




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