ऐतिहासिक बातां | Aitihasik Banta

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आचार्य विनयचन्द्र - Aacharya Vinaychandra

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नारायणसिंह भाटी - Narayan Singh Bhati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राव रिशमल री बात 8 राव रिणमल अठे धिणले सोजत कने रहै । गाव री ठकुराई पाखती घणा रजपूतां रा भूल रहै। घणु सिकार रमे । सिकार रमें सु च्यार पांच ठोड भुजाई* हुवे । सिकार खेल नै पधार नँ भुजाई पांतियै वेसं तितरं खविर भ्रावे जे सुबर ठावौ म्रौ दै, तरं उठ नै युहीज प्रसवार्‌ हुवे, झा भुजाई युंहोज रहै । हुकम करै>जे फलाणी ठोड भुजाई तयारी करावज्यो, म्हे उठ श्रावा छा | उठे सिकार खेल ने पधार, भुजाई पातिय वेठे वितरे वक्क खबर आावे ने उठा सु युहीज चढ़े, आ भु जाई युहीज रद । वक वौजी ठोड़ तयार हवै । यु च्यार पाच ठोडा भूजाई ब्है। रजपूतां री वडो जोड़ रहै । खरचा रा ओघुड़ा व्है' । त्तरवार, श्राचार सगत्णां ऊपर वहै । इण भात हालतौ देख ने योढवाड पाखतो सोनगरा री ठकुराई स्‌ सोन- गरा नू' भ्रमावा हुवा जु ए पायती भूडी, इण नैडा थका म्हानु' त्रिगाड, तरे राव रिणमल नु परणाय ने वेसासीया', आवोजाव हुई | तरे'्मोनगरा मिह् ন बेटी नु कहचौ--बाई म्हे थारा माटी* झागे रह सका नही, तु वेसा्य तो म्हे रिण- मल नु मारा। तरे बेटी कह्यौ-थे झा बात मत करी | तरे या कह्यौ-तु म्हा संगढ्ा ने मार, हाथ सु । तरें कह्यौ- तो रुव्य थे जाणी । सु एक समे रावजी सासरे पघारिया, तरे या वीचारियौ-जे भ्राज रावनु मारा। बेटी नु भेद दीयौ--जे श्राज राव नु. मारसा 1 रावजी एक समे सोनगरीजी मु किणहीक भात रिभाया हुता, तद हुकम क्यौ--तु मांग, मांगे सु यु । तरे इण कह्मौ-जु हु कदेक माग सु | सो तिण दिन कह्दाउ मेलीयौ-जे राज मोनु कोल दीयो थो सु झ्राज थ्रा बात हु मांगु समूह चमुना हुथा खाता उँभोजन करने को पंक्ति मे बैठते हैं झत्यविक्र खच होता है. भ्ठनङे दिलत मे ममाये नदीं विश्वाम्‌ मे सप्ये श्पत्रि।




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