पंचरात्र | Panch-ratra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
351
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
ब्रस्णा উ হৃহগলা ( अ्यात् कपट-येप घारी झर्जुन) को
লি [> ০ है. चे मौके
শুমিম-হূ কা লিমা ভাল নিহ মজা জালা ই / इस शोके पर
কত অথ धारा भामसन और श्रयुन की अभिमन्यु के खाद
यातखात, लालाक्षप पचनों स परिपूण द्वान के कारण, अत्यत
रायक हायर ह ! शृद्धप्तता--झआ धात् कपट दथ धारी अजुन-
खूदन्वप-धारा मीमस्तनन के साथ अभिमायु কা তাজা ক पा
लिया लात दे ।
श्तने मे दी राककुसार उतर सहसा आकर- रृटधला
बष घारा अजुन मन ही कौरवों का ज्ञाता हैं --इस रहस्थ क
उद्घधाइन कर दता है । फिर अज्जुन कपट थ धारा दुधिधिः
आर मीमसन का वास्तावकता प्रकट फर दत हे । बिराव
प्रसन्न दा आुन का गा दरण के पारितापक रूप में अपन
कम्या उत्तरा के पाणिम्दय के लिए कद्दत & सितु श्रतुन,
डिया सभा रमवास का शनना सम सत्कार
अर्पित जा यह उत्तता গুলে ছল হলনা |
यह कहकर उस्र अधिमयु के लिए स्पीकार कर লন
हैं। युधिष्ठिर, सपू्थ राज सडल वा वियाद का निमश्रर
देने के लिए, उत्तर को शीघ्र दी भीष्मादि क पास লন বল है
इधर बौर्यों के वरामित हो हान पर चंद भीष्मादि के
अमिमम्यु के सारधि से यद पता लगा कि अधिम-यु क
एष' झत्वत घग शाली पैदल पकड़कर মনো যথা লা ও
নি दो जाता दे कि অমিল को मीमलत के सियाय
और किसी ने नद्ों पकड़ा । इसी समय सीष्म का सारि
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