पंचरात्र | Panch-ratra

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Panch-ratra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) ब्रस्णा উ হৃহগলা ( अ्यात्‌ कपट-येप घारी झर्जुन) को লি [> ০ है. चे मौके শুমিম-হূ কা লিমা ভাল নিহ মজা জালা ই / इस शोके पर কত অথ धारा भामसन और श्रयुन की अभिमन्यु के खाद यातखात, लालाक्षप पचनों स परिपूण द्वान के कारण, अत्यत रायक हायर ह ! शृद्धप्तता--झआ धात्‌ कपट दथ धारी अजुन- खूदन्वप-धारा मीमस्तनन के साथ अभिमायु কা তাজা ক पा लिया लात दे । श्तने मे दी राककुसार उतर सहसा आकर- रृटधला बष घारा अजुन मन ही कौरवों का ज्ञाता हैं --इस रहस्थ क उद्घधाइन कर दता है । फिर अज्जुन कपट थ धारा दुधिधिः आर मीमसन का वास्तावकता प्रकट फर दत हे । बिराव प्रसन्न दा आुन का गा दरण के पारितापक रूप में अपन कम्या उत्तरा के पाणिम्दय के लिए कद्दत & सितु श्रतुन, डिया सभा रमवास का शनना सम सत्कार अर्पित जा यह उत्तता গুলে ছল হলনা | यह कहकर उस्र अधिमयु के लिए स्पीकार कर লন हैं। युधिष्ठिर, सपू्थ राज सडल वा वियाद का निमश्रर देने के लिए, उत्तर को शीघ्र दी भीष्मादि क पास লন বল है इधर बौर्यों के वरामित हो हान पर चंद भीष्मादि के अमिमम्यु के सारधि से यद पता लगा कि अधिम-यु क एष' झत्वत घग शाली पैदल पकड़कर মনো যথা লা ও নি दो जाता दे कि অমিল को मीमलत के सियाय और किसी ने नद्ों पकड़ा । इसी समय सीष्म का सारि




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