विहार | Vihar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
248
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मिल्लाप हुआ | साथुझों के साब इस धरइ के प्रिन्लम सत्रीह प्रेरणा
ने बते होते हैं। दामपुर एक बड़ा झोद्रागिक शार है। अमड़
का मश कपड़े का कटी बढ़ा दयोग वहां चल्षवा है | मै० के
दधोग प्रदिष्यत ओो डि भारत के चोटी के कयोग प्रठिस्यफ्सों में से
एक दे का पच्ात केश सी ब्ममपुर में दी हे । कनपुर कय दर सेना
সিল লী ঘন কযা আন प्रदेक्म दी है! कहां पर इबाई অহাজী কী
सरध्यत |मिमोंथ भीर प्रशिक्षण भी दिख छाता हे ।
जाजी के भ्रंदोक्षन के समय दिश्ू-मुस्थिम रकव के पॉगत
षए्य से भपना बलिदान देसे बल्ले क्मेंठ देशासेची ओर
पत्रकार श्री गऐेरा शंऋर विदयार्ी के कालपुर पहुँच कर बडडुत संतोष
हुआ । इमारा थ प्रमचदजी मुमि का साव-साव विद्वार शांवी कार
› इषमा | यहां खासा घुद्धपेतशी ने ७०९ ल््दौ पुर्तों क्रो नास्ता करषांसा |
कालपुर से १७२ भीकू चक्र दम सुगश्ष-फ्रश्तीम राजबाती
भांगरा आगे | भागरा शदइर तो बढुंढे संकरी गलियों का गंदा भीर
पुराने इंग का ही हे प९ ताजमशज मे আ্নালাতে क्रो विश्व प्रसिद्ध कर
दिया है । वैसे षहा श्र द किखा शोर जुमा भस्जिद भी सुन्दर दे
शमो रय मीक पर स्तेइफुरसीकरी मी इतिहास के विधार्थिश्रों के
सिए झाकपस का केक दे पर ताजमहल की टुखना किसी से भहदी
की जा सकती | इसे विश्व के ७ अयर्षओ में से एक साहा आता है।
इसकी प्सिद्धि के दो करझ हैं, एक तो कश्नशमक शिक्प ओर इसरे
প্র ষ্ঠ লিলি के पीडे प्रव छी दोग माषमा! किसी पमी
शाद ने वपे দহন খান ক खिद देसी समय इमारत ध्य मिद
গন পক্ষ লী কযা । अमुके भ्रमरे शूष त बुद्धे वणर पतवर
दी बाद छृति शरदूपूर्णिया के दिस ठो सचमुच अदभुत अमती होगी ।
बाजमइल देखने जमे बाक्धों की संकक कमी कम मदी रोती |
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