धर्म पथ | Dharma Path
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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No Information available about मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ईश्वर के सम्बन्ध में ९
आप यद्द मानते है करि इदवसरछृपा दम नदीं ইক শী
न्तं वाक्य मे उसे तुष्यतु दुचंनन्याय्येनः की च्छि হী নান
लिया दै स्या!
संक्षेप में श्रद्धा और बुद्धि के क्षेत्र कौन कौन से हैं ? किसकी
सयदा कटां तक माननी चाये १
यह सवाल ऋइयों के हृदय में उठता रै, घतः इस पर थोड़ा
विचार कर ट 1 मित्र के कथनाहुसार मेरे लेख में निर्नलता हों
सकती है 1 में उसे जानता नहीं । मुझे जैसा अनुभव हुआ है मेने
लिखा है | लेकिन अनुभव अवरणनीय है | उसकी तो झांकी भर
की जा सकती है। इंचर की दत्तन्दाजी की तुलना मनुष्य की
इंस्तन्दाजी से कैस की जा सकती है। इंश्वर ओर उनके नियम
भिन्न नहीं हैं कम किसी को छोड़ता नहीं; न पेश्वर किसी को
छोड़ता है । दोनों एक वस्तु है! एक विचार इमें कठोर दनाता है
दूसरा नम्न । संसार में कोइ न कोई अपू्व चेचनसव शक्ति ऋाम
कर रदी है, उसे आप चाहे जिस नाम से पुकारें, लेकिन वह
हमारे अत्येक काम में इस्तक्षेप तो क्रिया हो करतो है। हमारा
प्रत्येक विचार कम है। कम का फल होता है।फल ईश्वरीय
नियम के आधीन है | यानी हमारे प्रत्येक काम में इंश्वर उसका
नियम हत्तक्षेप किया दी करता है । फिर भले हस इसको जानते
हों या अनजान हों | स्वीछार छरे था अत्वीकार ।
इस संसार में आकस्मिक घटना नाम को कोई चीज़ नहीं
है। जो छुछ होता है. नियमानुसार होता है । वात केवल यहो है
कि हसारी पान्ररता इतनी ज्यादा हे कि इम उसको गति से अन-
भिन्न रहते हैं। मेरे पास दोऋर सांप चला जाता हैँ तो भी मे
। क्रांदता, से इस देवयांग क्यों सानू इश्वर ऋपा क्यों तदी
याक्त्यान इसे अपने पुएय कर्मा का फल सान শু? লা पुण्य
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