आज की राजनीती | Aaj Ki Rajneeti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
560
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| विश्व-राजनीति
अगले दिन फिर सायंकाल को नीचीवाग के एक कोने मे पाँचों पंचों की सभा
. जुरी। कल स्वंतंत्र-भारत कहने पर विवाद उठ खड़ा हुआ था, और उसका निर्णय
दो टक नहीं हो सका। आज प्रइन उठा कि राजनीति में पहले विश्व-राजनीति को
लिया जाय या भारत की भीतरी राजनीति को 1. राजनीति की. व्याख्या करते
हुए यधिष्ठिर ने स्वयं कह दिया था, और ज़िससे सभी सहमत थे। राजनीति बहुत
व्यापक चीज हं, उसके .निराकार नहीं, वंहुत-से साकार रूप है, जिनमें देश कीः
अर्थनीति या आधिक ढाँचा विशेष महत्व रखता हैं । ० |
, . महीप ने आज की वात के सम्बन्ध में कहा-हमें आज राजनीति को पहले
लेना चाहिए, और विश्व के राजनीतिक-मंच पर भारत जो पार्ट अदा कर रहा
है उस पर विचार करना चाहिए । ...
भगवानदास हिन्दू-कोड-विरू और अंम्वेडकर की आलोचना कर: डालना
चाहते थे, इसीलिए उन्होंने पूछ दिया-विश्व-राजनीति की पंहले लेने का क्या
काम है ? दीपक पहले घर में जलाके मस्जिद में जलाया जांता हैं । '
महीप-कुभी-कभी मस्जिद के मीनार पर बिना दीपक जछांये घर को प्रकाश
नहीं मिलता यह भी हमारे लिए कम दिलचस्प 'ब्रात नहीं रहेगी. हमारे `
राष्ट्रकर्ण घारों में विश्व-राजनीति की सर्वज्ञता सुनी जाती है । हमें अपने राष्ट्र को...
विश्व-राजनीति के प्रकाश में देखना चाहिए, और राष्ट्र-कर्णधारों की वृद्धि को भी ।
सवकी राय हई कि राजनीति पर आज विचार किया जाय । महीप ने वड़े
उत्साहं के साय कहना शुरू किया-कितने ही. लोग समञ्चते है कि विदव या अन्त-
रष्टरीय-राजनीति कचहरी मेँ वकीलों के अखाड़ा जैसी है, जहां वहस ओर नजीर
के वर पर विजय प्राप्त की जा सकती ह । इसका उदाहरण वह् इंगरंड को देते `
हैं। वह समझते हैं कि इंगलेंड के वाग्मी और वकील राजनीतिज्ञों ने हर जगह
अपनी पैनी सूझ और वक्तृत्वकला से पासा पलट दिया । “
रामी-तो तुम समझते हो, प्रत्युत्पन्न-बुद्धिता तथा वाग्मिता ऐसी जगहों पर
कोई काम नहीं करतीं ? ।
महीप-में उन्हें वेकार नहीं समझता । कोई भी काम सिर्फ एक कारण से
न वि व 5 प क ৮171 ০047৮
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