विनय पत्रिका - 6 | Vinaya Patrika-
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
496
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५ विनय-पनिका
एते है; दोषः दुःख, दुराचार ओर रोगोको भस्म कर डालते है ॥ २॥
पतके विद्ुदे इए चकवा-चकवियोको मिलाकर प्रसन्न करने-
বাতি, कमलको खिखानेवाङे तथा समस्त खोकोको प्रकाशित करने-
बरे है । तेज, प्रताप, रूप ओर रसखकी आप खानि हैँ ॥ २ ॥ आप दिव्य
ए्थपर चरते है, आपका सारथी ( अरुण ) द्रा है । हे खामी ! आप
वेष्णु, रिव ओर ब्रह्माके ही रूप हँ ॥ ४ ॥ वेद्-पुराणोमे आपकी कीतिं
नगमगा रही है । तुलसीदास आपसे श्रीराम-भक्तिका वर
पाँगता है ॥ ५॥
शिव-स्तुति
[३]
हो जोचिये संश तजि आन ।
रीनदयाडु भगत-आरति-हर, सब प्रकार समरथ भगवान ॥१॥ ४
कालकूट-जुर जरत सुरासुर, निज पन छागि किये चिष-पान ।
शरुन दत्तुज, जगत-दुखदायक, मारेउ त्रिपुर एक ही बान ॥२॥
नो गति अगम महाघुनि दुलेम, कहत संत, श्रुति, सकल पुरान ।
प्रो गति सरन-काल अपने पुर, देत सदासिव सबहिं समान ॥३॥
सेवत सुलभ, उदार कलपतरु, पारवती-पति परम सुजान ।
देहु काम-रिपु राम-चरन-रति, तुलूसिदास कहूँ कृपानिधान ॥७॥
भावार्थ-भगवान् शिवजीको छोड़कर और किससे याचना की
जाय $ आप दीनांपर दया करनेवाले, भक्तोंके कष्ट हरनेवालें और
User Reviews
Tannu Tiwari
at 2021-08-03 16:08:09