विनय पत्रिका - 6 | Vinaya Patrika-

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Vinaya Patrika-  by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ विनय-पनिका एते है; दोषः दुःख, दुराचार ओर रोगोको भस्म कर डालते है ॥ २॥ पतके विद्ुदे इए चकवा-चकवियोको मिलाकर प्रसन्न करने- বাতি, कमलको खिखानेवाङे तथा समस्त खोकोको प्रकाशित करने- बरे है । तेज, प्रताप, रूप ओर रसखकी आप खानि हैँ ॥ २ ॥ आप दिव्य ए्थपर चरते है, आपका सारथी ( अरुण ) द्रा है । हे खामी ! आप वेष्णु, रिव ओर ब्रह्माके ही रूप हँ ॥ ४ ॥ वेद्‌-पुराणोमे आपकी कीतिं नगमगा रही है । तुलसीदास आपसे श्रीराम-भक्तिका वर पाँगता है ॥ ५॥ शिव-स्तुति [३] हो जोचिये संश तजि आन । रीनदयाडु भगत-आरति-हर, सब प्रकार समरथ भगवान ॥१॥ ४ कालकूट-जुर जरत सुरासुर, निज पन छागि किये चिष-पान । शरुन दत्तुज, जगत-दुखदायक, मारेउ त्रिपुर एक ही बान ॥२॥ नो गति अगम महाघुनि दुलेम, कहत संत, श्रुति, सकल पुरान । प्रो गति सरन-काल अपने पुर, देत सदासिव सबहिं समान ॥३॥ सेवत सुलभ, उदार कलपतरु, पारवती-पति परम सुजान । देहु काम-रिपु राम-चरन-रति, तुलूसिदास कहूँ कृपानिधान ॥७॥ भावार्थ-भगवान्‌ शिवजीको छोड़कर और किससे याचना की जाय $ आप दीनांपर दया करनेवाले, भक्तोंके कष्ट हरनेवालें और




User Reviews

  • Tannu Tiwari

    at 2021-08-03 16:08:09
    Rated : 10 out of 10 stars.
    Jeevan sudhar jayega
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