जगद्विनोद | Jagadvinod

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jagadvinod by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
জনন (१९) ... झथ मण्या पीराकों उदाहरण । । कवित्त-रावल्ति कहा हो किम कहत हो कातेअरी, रोपए वञ्‌ रोषके कियो में का अचाहेकी। -. कहे पदसाकर यहे तो दुख दूरि करों, दोष स क है तुम्हें नेह निरवाहेकों ॥.. तोपे इति रोवति कहाहै कहों कौन आगे, - - मेरेई जु आगे किये आसुन उम्ताहें को | हो में तिहारीबूतो मेरीप्राणप्यारीआज, - होती जो पियारी तो बरोती कहो काहेको - दोहा । द कारेआदरतिय पीयको,देखिहदगनअलणसानि ` समुख मोरि वषनलगी, ले उसाँस असवानि उर उदास रतिते रहै, अति आदरकी खानि द प्रोदाधीरा नायका,ताहिलीजियत जानि६७




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now