आज के शहीद | Aaj Ke Shahid

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Aaj Ke Shahid by रतन लाल बंसल - Ratan Lal Bansal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रतन लाल बंसल - Ratan Lal Bansal

Add Infomation AboutRatan Lal Bansal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
गणेश शङ्कर विद्यार्थी ६ के जुल्मों की कद्दानियोँ वह घड़ाके से छापता था और रियासती जनता पर होने वाले णजाओं के अत्याचारों का ऐसी निडरता से परदाफ़ाश फरता था कि बड़े बड़े राजा भी प्रताप से दहशत खाते ये, इसके मंतीजे में हमेशा विद्यार्थी जी पर कोई न कोई सुकदमा चल॑ंता रहता था और हमारे सूबे की सरकार 'प्रताप' से लम्बी लम्बी ज़मानते माग कर ज्ञत करती रहती थी, कई बार इसके लिये विद्यार्थी जी को लाखों रुपये का लालच मी दिया गया कि वह किसी खास मामले में चुप्पी साध लें, लेकिन विद्यार्थी जी ने कर्भा अपने मुख झाराम को तरजीह नहीं दी, इसलिये ऐसे लालच उन पर कया असर करते ! अपने उसूलों के वह इतने सये थे कि कई बार, उन लोगो की खातिर, ज उनके अखबार को खबरें भेजते थे, वह खुद सज़ा काट थ्राये. सरकार ने ज्ञोर डाला कि वह खबर भेजने वालों का नाम बताद, लेकिन उन्दो ने साफ़ इनकार कर दिया . «जिन लोगों ने विद्यार्थी जी के साथ काम किया है, बह बताते हैं कि उनकी जिन्दगी भूकों मरते ही फटी. जब फर्भा चार पैसे होते, कोई न कोई जरूरत मन्द ग्राकर्‌ उनको लेजाता, फ़रार क्रान्तिकारी उनके यहाँ महीनों रहते श्रौर विचार्था जी किध न कि तरद उनकी जरूरते पूरी करते हीये, सरदार मगत सिद जी भी 'प्रतापँ आफ़िस मे कई महीने तक रहे थे. \- कोई काप्रेखी साथौ जेल चला जाता वो विद्यार्थी जी उसके खान- বান কী জিদ হন প্র. হত বিলি में ऐसे ले!गो को भी उन्होंने मदद की, जो ज़िन्दगी मर उनके खिलाफ़ रहे, अगर आस पास के किसो गाव में पुलिस की ज़्यादती सुनते तो विद्यार्थी जी बहाँ जरूर पहुँचते. इस तरदइ जनता के अ्रधिकारों के लिये लड़ने वाले वह एक अथक योधा 'ये, बेसहारे देश भक्तो के सहारे ये और कानपुर जिले की वाँश्रेस तो उनके सहारे चलती दी यौ. ' विद्यार्थी जीके दिल में देशमक्तों के लिये कितना दर्द या, इसकी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now