महारथी लाला लाजपतराय | Maharathi Lala Lajpatray

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Maharathi Lala Lajpatray by विश्वम्भरप्रसाद शर्मा - Vishvambhar Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१३ नसमाजमें जो सामाजिक जागृति दृष्टिगेचर होती है उसका कारण लालाजी की सामाजिक क्रांति का ही श्ुम परिणाम है। धर्म के नाम पर हिन्दू सप्ताज में जो विनाशकी आप्रे धधक रही हे लालाजी उसे सदेव शांत करने के लिए प्रयत्न करते थे । नाशफारी घामिक विश्वा्ों के विरोधमें छालाजी की सबसे पहले आवाज निकलती थी । शैक्षा क्षेत्रमें लालाजी को यदि देश के नेताओंका विपुल सहयोग मिलता तो वे देश के समक्ष शिक्षाका नवीन आदर्श उपस्थित कर सकते थे । फिर भी स्वशक्ति और जनता के सहयोगा- নাং उन्होंने शिक्षण सुधारके लिए जो कुछ किया वह चिर स्मरणीय रहेगा | डी, ए. वी, कालिज की तनमनघन से सहायता करने के अतिः क्कि आपने तिलक स्कूल जफ पालिटिक्स जेसी उद्बक्रोटि की राष्ट्रीय शिक्षण संस्था स्थापित की और उसे अपना ४० हजार का पुस्तकालय तथा एक लाखका मकान दान दे डाला । यही नहीं वे शिक्षण सुधारके लिए भार- तीय सरकार से सदैव लड़ते रहे | गत त्िमठा अधिवेशन में भारतीय व्यव. स्थाविक समा में इस विषयर्म आपने एक प्रस्ताव भी रखा था जो स्वीकृत हुआ । खराज्यपार्टी वालेंसे हिन्दू मुस्लिम समस्या पर गहरा मतभेद हुएभी राष्ट्र: हित के लिए वे सदेव उन के साथ ही न थे वरन पथ प्रदुशक का कार्ट करते थे । मारतवर्षके जम सिद्ध अधिकार का ठेका अपने हाथ में लेने वारे अमनी क्टनीतिज्ञो दारा नियुक्त गोरे सायमन कमीश्चन का आज सर्वत्र जो घोर बहिष्कार हो रहा है, छालाजी उसके सूत्रधार थे। भारतीरे व्यवस्थापक समार्में कमीशन के विरोध में आपहाने सबसे पूर्व प्रस्ताव | उपस्थित किया था जो प्रचण्ड प्रजामत से पास हुआ । भारतयि व्यवस्था पिका सभा के सदस्य होते हुए छालाजीने समय २ जो भाषण दिये उनसे विदित होता है कि लाछाजी के हृदय में स्वदेश के लिए भारं द्या ओर वे एक क्षण में मारतको स्वतंत्र देखना चाहते ये । पछला शिमला अविवेशन लालाजाी का आतम भाग्ताय व्यवस्थापक सदस्यता का जावन था। इस सेशन आपकी ३1४ वक्‍हताएं উর




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