आधुनिक प्रायोगिक मनोविज्ञान का स्वरूप | Adhunik Prayogik Manovigyan Ka Swarup

Adhunik Prayogik Manovigyan Ka Swarup by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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22 आधुनिक प्रायोगिकं मनोविजान फा स्वरूप ऐसे हे जो मनुष्य स्तर पर ही प्राप्त होते हे और इसके प्रायोगिक अध्ययन को अपनी विशेपताएँ और उपलब्धियां है। अत सप्तम से लेकर तवम्‌ अध्याय तक अधिगम के इन्ही रूपो के प्रायोगिक अध्ययन्तों का विवेचत किया गया हे ताकि अधिगम के विभिन्‍न रूपो का निरूपण और व्याख्या के लिए उपलब्ध प्रायोगिक सामग्री और ज्ञान से छात्र को परिचित कराया जा सके । अधिगम के प्रत्येक अन्याय म सम्बन्धित गोचरो की ओरमभीद्धात्रो का व्यान आकरपित करने का प्रयत्न किया गया हे । अधिगम का प्रक्रम परल या दुष्कर हो सकता है तथा एक अधिगम का प्रभाव भविष्यमे होने वले अधिगम पर पडताहे। इसीलिए दशम्‌ अध्याय म अविगम मे मितव्ययिता तथा स्थानान्तरण की समस्या की चर्चा की गयी हे । प्राणी का यह स्वभाव होता है कि वह सीखी हुई प्रतिक्रियाओं को सचित रखता हे और बहुत से उत्ते जक प्रतिक्रिया साहचर्यों को विस्मृत कर देता हे । स्मृति प्रक्रम की सक्रियता को सुख्यतम अभिव्यक्ति मनुष्य के स्तर पर वाचिक व्यवहारो में परिलक्षित होती है । इस वाचिक अधिगम ओौर स्मृति का सम्बन्ध आन के प्रायो- गिक मनोविज्ञान में अत्यन्त निकट का है । इसलिए वाचिक अधिगम और स्मृति पर उपलब्ध प्रयोगविधियो एव उपलब्धियों का विवेचन एकादश अध्याय मे प्रस्तुत किया गया हूँ । जीवित प्राणियों के व्यवहार का जटिलतम रूप उस स्थिति मे स्पष्ट होता देँ जहाँ उद्दीपक स्थिति में कुछ अग ऐसे ह जो प्राणी के अनुभूति में आ चुके है तथा कुछ जग नए है । और साथ ही साथ इन अजगो का उद्दौपक स्थिति के रूप में सगठन ण्या है जिसमे वाछित प्रतिक्रिया स्वत या गुविधा स नही हो पाती । ऐसी स्थिति समस्या कही जाती है और ऐसी समस्याओं मे प्राणी के व्यवहार का प्रायोगिक अध्यन समस्या समावान ऊ अन्तगत तिया जाता हूं। दूसरी ओर मनुष्य प्रतीको 6 माध्यम से प्रतिक्रियाएं करता हैे। साथ ही साथ वाह्य उत्ते जक के समर्थन के अभाव गे भी थह ऐसी आन्तरिक प्रतिक्रियाएं करता हे जिसमे एक प्रतिक्रिया स्वय दुगरी प्रतिक्रिया त उत्तेजित करती टे। इस प्रकार के प्रतिक्रिया प्रकम को सोचने (न लिमा कदा जाताद्‌ 1 समस्या ममाघान तथा चिन्तन ऊ प्रायोगिक मनोविज्ञान | বাঘ जधिंगम # साथ सम्मिलित फिया गया हे ।




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