यामा | Yama

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ए. कुप्रिन - Aleksandr Kuprin

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जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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15 न यही कहकर अ,प अपन भा बहला सबत है शशि आपक মশনাল रिश्तटार एक हैं आर दूसरा आपक लिए बिल्कुल दूसरा है। दूसर मे परि बार से आपको न वास्‍्ता है ने लना टना £ लविन यह ता जगला बा- सासाचना है. और हम अपन का थाड़ा ता सभ्य सस्हत समझत ही है | आर जब आप अपनी पाशव वासना पूरी करव वश्या व पास से आते हैं ऊब आर उकताहट से जी आपका मिचताया सा जगता है सा जाने “रखिए और याद रखिए कि उस बक्‍त आप वश्या से कही अधम भार पामर होत है। वतमान जीवन वी विपमता आर विडम्बता का लाभ उठाकर समझ जीजिए कि आपने ऐस भिखारी का लूटा है जा आधा है उस मारा है जिसके हाथ वर्ध हैं जार जा बबस है छला है ता उस जा साटान है मासूम है और जा হনয় शिकार हूँ । हा जसा मैं समझ सका आर मुझ्स बन सका मैन वश्य/वत्तिक खिलाफ लिया। लेकिन मुझ काई नुस्खा नही मिला। मैं इतता ही जानता है कि बहनसीब अभागिन नारिया वश्यावत्ति मे पड़ती है तो कारण हांता है एक ओर गरीबी आर अशिक्षा दूसरी तरफ लालच आर फ्मवाहद तीसरी तरफ हर रोजगार की कमी मा किसी राजगार वी नाकाबलियत । जच्नि टर्स संब चीज क बार म लिखना, वासना, विचारना आरप्रचारना শন क्या फिजूल नहीं है. दखकर डर लगता है कि बड़ी स बटी सय बात का खाचन दाल स्पष्ट स स्पष्ट और उग्र स उप्र शब्दा का स्त्री पुस्पा पर कितना अकिचितकर प्रभाव पड़ता है । एक बार पोटस वगस क्रामिया जात हुए ट्रेंन मं कुछ युवक “जा नियर लांगा को मडली न मुझे पहचान लिया और इस वश्यावत्ति क वार मे मुझसे बाव करन को अनुमति मागी। देखिए। व बोल, आप इन चकक्‍ला की और अड्डा को गयका और घाव का उधारत तो है लक्नि उम्र पर आकर आदमी सम एमी बमा के साथ जा कामवंग और भाग की भूख लगती है उसको रोवन थामन का भी आपव॑ पास उपाय है ? बन सका वह मैंन जवाब दिया मादा खुरदरा बिस्तरा सख्य तख्त ओदन म क्बल को ज्यादा मुत्रा




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