अनुदान : स्वीकृति प्रक्रिया एवं नियम | Svikrati Prakriya Avam Niyam
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
291
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निरीक्षण- संस्था को अपने लेखे एव अभिलेख सरकार, महालेखाकार व शिक्षा विभाग द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति के
निरीक्षण हेतु हर समय खुले रखने होंगे। (नियम 21)
आवेदन पत्र की विषय सूची- परिशिष्ट-4 में तैयार आवेदन पत्र के साथ वे सभी प्रपत्र सलग्न होने चाहिए जो
अनबन में मांगी गई राशि की सत्यता सिद्ध करें। यथा आय व्यय लेखा एवं चिट्टा, स्वीकृत पदो के आदेश, रजिस्ट्रेशन
पत्र, मान्यता अदेश, स्वीकृत तथा अस्वीकृत पदो का व्यव विवरण (अनुदानित व विना अनुदानित), व्यय विवरण मे कर्मचारियों
का नाम, योग्यता, नियुक्ति तिथि, वेतन वृद्धि की तिथि, वकाया लेनदारोकी पूर्ण विवरण सहित सूची, किराये हेतु किरायानामा,
अधिग्रहण आदेश व तिथि, विज्ञापन व्यय हेतु पेपर कटिग। एरियर प्रकर्णो की स्थिति मेँ अतर विवरण, आदेश की प्रति
भुगतान का प्रमाण पतन, रोकड वही के पृष्ठ सष्या, निलम्बन काल में किसी अन्य को भुगतान नहीं किया गया का प्रमाण-पत्र,
स्थिरीकरण में उसकी प्रति भी। ठेरियर प्रकरणं अलग से भेजे जाने चाहिए ।
अकेक्षित लेखे- सस्था को अपने अकेक्षित लेखे रखने होगे । 2000/- से कम आय व्यय वातो को चार्टेड एकाउटेन्ट्स
से अकेक्षण करवाने की आवश्यकता नहीं। 5,00,000/- तक के आय व्यव वाली सस्थाए अपने लेखों की जाच अकेक्षण
राजकीय सेवा से निवृत्त लेखाधिकारी से करा सकती है। (आदेश क्रमाक 31) नियम 20 शिक्षा निदेशक /उपनिदेशक जितनी
सस्थाओ को अनुदान स्वीकृत करते हैं उनमें से 25% सस्थाओ का सपरीक्षण प्रतिवर्ष होना चाहिए। (आदेश क्रम 61)
भवन का मालिक- किराये के भवन यदि संस्था के प्रवन्ध समिति के किसी सदस्य के नाम है तो भवन किराया देय
नहीं होगा। किराये के भवन में मरम्मत, परिवर्तन, परिवर्द्धन, विना पूर्व स्वीकृति के कराने पर उस व्यय प्रर अनुदान देय
नहीं होगा। किराये के भवन लेने पर उसकी पूर्ण वैधानिक कार्यवाही सम्पादित करनी होगी।
छात्र कोष से सस्था के लिए कोई सामग्री क्रय न की जावे।
भण्डार- भण्डार सामग्री का क्रय वही अधिकारी करे जो आकस्मिक व्यय हेतु सक्षम हो। (84) किसी प्रकार के व्यय
के लिए उसे सविवेक से उसी प्रकार कार्य करना चाहिए। जैसे वह स्वय अपने धन के व्यय के सम्बन्ध में करता! (नियम 83)
निविदा आमंत्रण, भण्डार की प्राप्ति, रक्षण, प्रसारण व अतरण तथा समय पर भीतिक सत्यापन आदि भी सक्षम
अधिकारी की देखरेख में किया जाना चाहिए (नियम 85 से 90) अन्यथा गड़बड़ी के लिए वह टोपी होगा ।
व्यय के मद- सस्था को अनुदान उन्हीं मदों हेतु स्वीकृत होगा जो अनुदान नियम 14 में दिये गये (क) से (न)
तक सहपटितं परिश्िष्ट-8 के पद सम्मिलित होंगे।
वेतन एवं भतते- वेतन, भक्ते राज्य सरकार दारा प्रतारित आदेश व निर्देशों के अनुसार् वेय होगे। रान्य कर्मचारियों
की तरह इन्हं चयनित वेततमान तथा वरिष्ठ वेतनमान देय नहीं हे । अत. इस हेतु अनुदान स्वीकृत नहीं होगा। भत्ते मे मकान
किराया, महगाई, व शहरी क्षतिपूर्ति भत्ता सम्मिलित होंगे (आदेश क्रम 5) नियम 34
पी. डी. खाता- प्रत्येक कर्मचारी जिनकी सेवा को एक वर्ष पूरा हो गया है, के वेतन से 8.33% की दर से कटीती
करके उसके पी.एफ. खाता में जमा की जावेगी व उतनी ही राशि सस्था अपनी ओर से अपने हिस्से की राशि उसके खाते
में जमा करायेगी। संस्था अपना एक खाता राजकोष/उपकोष में खुला कर उसमें अपनी प्राप्त पूर्ण राशि जमा रखेगी जिसे
समय-समय पर चैक से आहरित किया जा सकेगा। इस खाते की राशि सम्बन्धित कर्मचारी अपने परिवार के नाम निर्देशित
कर सकता है। इसके लिए स्थिति अनुसार परिशिष्ट-15 भर कर देगा। उसी आधार पर सम्बन्धित को उस खाते की राशि
का भुगतान किया जा सकेगा।
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