गद्द विविधा | Gadh Vividha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : गद्द विविधा - Gadh Vividha

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हिंदी गद्य साहित्य की परपरा 1 १५ भावाभिव्यजना एवं रचना-परिमाण दोनो दृष्टियों से यह युग महत्त्वपूर्ण है । साहित्यिक स्तर पर भी यात्रा-साहित्य मे प्रौढता आयी है। इस युग के प्रमुख यात्रा-ग्रथ और उनके लेखक इस प्रकार है--मेरी जहाख-यात्रा, मेरी जीवन-यात्रा, किन्नर देश मे, दाजिलिग-परिचय, रूस में २५ भास तथा हिमालय-परिचय आदि--राहुल साइत्यायन, रोमाचक रूस मे--डॉ ० सत्यनारायण, नलार-दशेन --शिवनदन सहाय ईराक की याता--कन्हैयालाल मिश्र, काश्मीर---श्रोगोपाल नेवटिया, इस्लैंड- यात्ना--रामचद्र शर्मा, दुनिया की सैर--योगेंद्रनाथ सिन्हा, यूरोप के प्र--डॉ० धीरेंद्र वर्मा, भारतवप्छके कुछ दर्शनीय स्यान --चक्रधर हस, विश्वयात्री--.डॉ० भगवतशरण उपाध्याय, पैरो मे पथ गधकर--राम- वृक्ष वैनीपुरी, लोहे की दीवारो के दोनो ओर--यशपाल; अरे यायावर रहेगा याद--अज्ञेय, आँखो-देखा ख्स-पडित जवाहरलाल नेहरू, आखिरी घट्टान तक--मोहन राकेश, पृथ्वी-परिक्रमा--सेठ गोविददास; चीडो पर चांदनी--निर्मल वर्मा, बदलते देश्य--राजवल्लभ ओझा । इन ग्रथो के अतिरिक्त कुछ स्फुट निबंध भी पत्र पत्रिकाओं में प्रका- शित होते रहे हैं। भारती का '3ले पर हिमालय” उल्लेखनीय है। साप्ता- हिंक हिंदुस्तान और धर्मयुम के योग को भी इस दिशा में भुलाया नही जा सकता । साप्ताहिक हिंदुस्तान ने तो एक संलानी विशेपाक ही निकाल दियाहै। श्रौ विराजका “कर्णफूली के रगीन किनारे! भौर धी हरिवश येदालकार का भानसरोवर की लहरो मे यात्नावृत्त इस अक की विशेष उपलब्धि माने जायेंगे। जीवित करते हैं । इस स्मृति-मिलन में मानो हमारा मन बार-बार राता है, हमे आज भी तुम्हारा अभाव है।” (स्मृति-चित्र) उपरक्त कथन पै आधार पर कहा जा सकता है कि जब कोले किसी मनोरम दृश्य, अविस्मरणीय घटना या सपक में आये हुए व्यक्तियो के सबवध में अपनी अनुभूतियों एवं सवेदनाओं বঁ सस्पर्श से सजीव चित्र পানর,




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now