वीरवांण | Veervan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : वीरवांण - Veervan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत - Lakshmi Kumari Chundawat

Add Infomation AboutLakshmi Kumari Chundawat

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वीरवाण 3 दलेपान विचार कर परधानं पठाया। लप वरौ वीरम फनैए जात्र कैषाया॥ तगढ तपी पग कार सै भग वीरम साया] आया कु आदर दिया हम लीघ वधाया॥ा लग्ब वेरो रहपास कु दलजी दरवाया। घरती चोनी गामडा सब राज़ समाया॥ उस साख ब्रीरम तने आवा बगसाया। डाण बले उचका दिया आदा अपणाया॥ चोगी ग्राम चबुतरा क्रि काज बैठाया। पोले इक्सठ पॉजरु सफर रापाया॥ जोइया पग माडे जिती धरे नीही रहाया। हती रहै न जुरिया कैर उफ्राया॥ मीज्लीया चिडीया महलै हि जाणक श्राया । जाणक डोकर पोल मरिच वाय बमाया॥ क्यातेरा अवगुण फिया हम लीध नीभाया । पायरर्दि दुगुण किया सय जाय आुलाया ॥ बीरम जी की रानी मागलियाणी भी निसने सातों जोहियों को अपना राफ़ी भाई बनाया था समझते का प्रयत्व करने लगी किन्तु उसका कोइ परिणाम न हुआ | युद्ध का मुख्य क/रण यह हुआ कि वीरमजी ने दरगाह के “परास” पेद फो काट डाला जिसका वणन करते हुए मुध्लिम कपि ने अपनी अद्धा इस प्रयार ब्यक्त की है-- दरपत हरोपल पीर प्रिच दरगह सोगे। जोइया ই 4ीदेस मे जिण॒ सामो जोष ॥ पीर प्रचाइल प्रगट दुप दालद पौयै। राम रहिम जु एक हैं कु दोय न होवे ॥ तीर रामा वाढ बाढ़ यपाती ढोचे। के मुला तागा करे हुय हाका होगे॥ परह्ास के कटने या समाचार सुन कर दला जोद्दिया को बहुत दुख हुआ ओर उसने एक दिन जारर वीरमजी वी गार्यों को घेर लिया-- जेज न कीघी जोइया, घेरी जायर गाय। सुण बीरम गमाला सनद, लागी उर में लाय॥ ठस जार जोया दुमल, क्ट साररा कोट 1 छाला जगा चलणा, दाला रैन ठोट॥




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now