गुजरती के तीन उपन्यास | Gujarati Ke Teen Upnayas
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)বনী হবী বহুল झ्राखें होती है!
सिस्टर ने शीज्षी उसके हाथ से वापस ले ली।
“यह गोली की दुनिया भी अजब तहीं है कया ? पति के साथ गडा
हो गया, गोली ले लो। परीक्षा मे फेल हो गये, गोली ले लो। पैसा नहीं
है या ज्यादा है, तव भी गोली ! हम भी तो प्रत्येक दु ख, शोक, रोग से
ग्रुद्ध-रत् है किसी भी हालत मे गोली की वात नही सोचते ।'
“हू क्तिना बडा अन्याय है ? सत्य तो यह है कि झ्ादमी जिन्दगी की
शुरूआत ही मे जानता है कि उसे मृत्यु तक ही जीना है, जीवन-यात्रा ही
मृत्यु तक है। श्रगर मृत्यु न हो, तो जीवन-यात्रा का श्रामास कंसे होगा *
'सिस्टर, हम जाएें क्या ?” थोडी दूर जाकर ठहर गयी लडकियों मे
से किसी एक ने भावाज दी ।
“थोड़ी देर खडी रहो, मै ग्राती हू! कहकर सिस्टर ने अपने हैड-वेग
से एक छपा हुआ कार्ड निकालकर उसके हाथ में थमा दिया और बोली,
“मेरा नाम डॉक्टर जोस्पीन है। मैं कुछ दिनो बाद यहा के मिशन स्कूल से
कलकत्ता जाने वाली हू निराश्चितों की छावनी में । तुम मुझे मेरे काम मे
मदद करोगी ?!
हाथ की दीश्ी उसे वापस लोटाती हुई सिस्टर बोली 'मौत की मदद
के” बिना भ्रादमी जिन्दगी नही जी सकता यह तो सच है, किन्तु बहन ।
विना जिन्दगी जिये मौत का सहारा तेना कया उचित है २?
एक ममतामयी मुसकराहट वरसाती हुई वे उठ खडी हुईं तथा लडकियों
की टोली में शामिल हो गयी ।
बोम. वयि ..थेक यू वेरी मच । में गॉड ब्लेस यु। लडकिया हाथ
हिला हिलाकर उससे विदाई माग रही थी। धोरे-घीरे वे सव उसकी श्राव
स ग्लोभल हो गयी ।
धूप काफी उमस-मरी हो रही थी। हवा एकाएक तेज हो उठती थी ।
दुक्षो के नीचे एक भजीव-सी शीतलता वा झामास हो रहा या । उसका
दिमाग बिलकुल उत्तेजित नही था। वह काफी स्वस्थता महभूस कर रही
थी। विरक्त भाव से उसने हाथ वी श्ीशी को देखा | फिर सिस्टर द्वारा
दिया हुप्ना वाई पढने लगी । পরি
अहिल्या ।
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