धर्म-रत्न-प्रकरण [द्वितीय भाग] | Dharma Ratna Prakaran [Bhag 2]
श्रेणी : हिंदू - Hinduism
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रेत के भंग ९
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হলীছাহ कर सोश्च फो-गया 1 मद्रदान सेठ भी चिरकाल सस्यस्तय
की प्रभावना करता हुवा खत पालन स्पे (स्वगो गया)
सुख का भावन हुआ | इस प्रकार जागन सुनने में रसिक, चने
हुए सुदश्शन ने क्र छ फल पाया अतः हू भवंयजनो तुम भी धर्मद्र से
की घाटी रूप धरम धर ति में यत्नवान बनो ।
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शसो गायाप्रनें अदर च अतिचप द्िःप्ररताव मं, करने मै आन
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* याया मंत इस प्रकोर -है- छः मंगी। नवर्भगी: -हर्कवीस-
' भंगी, ऊनपचास मंगी और, एक्ो सतालीस भंगी)
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' छुक्विध तीसरा सं्गी इकंब्रिध विविध चोँधा भंस, इकविय
त्रिधिध पाँचवा भंगः इकविध इकमिय छुठा संग] ..
| ^ ॐ
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