स्वास्थ्य विज्ञानं पर एक भारतीय वैज्ञानिक की नवीन खोज | Svasthya Vigyan Par Ek Bharatiya Vaigyanik Ki Naveen Khoj Bhag-iii

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Svasthya Vigyan Par Ek Bharatiya Vaigyanik Ki Naveen Khoj Bhag-iii by माधो प्रसाद - Madho Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९० ) चाले शिक्षित युय्रक तो अपश्य दी हागे | तीसरी सरल बात यह है कि मशोन फी परिभाषा मैं दो प्रकार थी मशीने द्वोती हैं एक क्ति उत्पादक यन' जिनमे श्राघुनिर पाल में 'ऐसन! के नाम से पुकारा जाता दै जिनमें विभिन्न सिद्धातों से श्रग्नि को उत्पत्ति और प्रयोग करके एक यात्रिक गति प्राप्त कर ली जाती है और फिर एस कृत्रिम शक्ति से विभिन्न प्रकार के कार्यकर्ता य>! चलाये जाते हैं ओर प्रयोजनीय बरतुएँ बनाई जाती हैं | दूसरी प्रकार मशीनों की অহ कायं कवा यंत्र है जिनमें विभिन्न प्रकार के कल पुर्जों को लगाकर एक सरल पहिये को घुमाने वाली शक्ति से अनेक प्रकार पी छोटी २ समकालीन ग्तियें उत्पन्न कर लो जाती हैं বহু बारम्बार वदी गवि उत्पन्त फरती रहती है और वरतुए सुविघा से यनती रदती द ।पदिते प्रकार के यन (शक्ति उत्पादक यन) का यख्य कायं मानुपी परि्रमको कम कर देना होता है क्योंकि शक्ति अग्नि से (दोनों प्रकार फी अग्नि त्तेज भूती सूक्ष्म अग्नि अथवा নিতু ओर तेज मद्दामूती उप्ण अग्नि)1उत्पन्न फी जाती दे झीर इन सबकी उत्पत्ति करने के लिये यद्द शक्ति धत्पादक यन लोढे आदि घातुओ फे बनाये जति दे! दूसरे प्रकार के यन भिनको কাথী কৰা যন कह ज्ञाता है इसे मुख्य कार्य दो हैं एक हो “उत्पत्ति की वेगवा” और दूसरी 'बरतु की सदृष्ठता! तीसरा कार्य महीं हुआ करता इसीलिये यह फिर स्पष्ट किया जाता है कि पहिले वत्दुझको दवाथा से बनाना चाहिये और फिए उनकी मशोनें जेसा ससार का सियस है । स्वयं हमारे शिक्षित यत्कार अपनी वस्तुओं के बनाने वानी मशीनें बनाकर खडी कर लेंगे । जिन हाथो से पढ़िले बखएँ बनाई जायेगी उ हीं हाथी से उन वस्तुओं को वनाने की सशीने बनाई जा सकती हैं और फिर ईश्वर सहायता करे तो यद भी सम्भव है कि इन मशीन! को बनाने के लिये अन्य मशीनें भी हमारे द्वी देश म बनने लग जायें । इस विषय पर हम पाठकों से अनुरोध करेंगे कि वे भारत फे आदरणीय और सुयोग्य चैज्ञानिद हमारे प्रघान




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