तर्क संग्रह | Tark Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.55 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साषारीकासहितः 1 दि
न्तमें हेतु साध्य दोनों हैं अब पक्षमें घटावों “ रूपवादन वा
न्लियावाच् घटः अर्थात् रूपचाला और कियावाठा घर है
यह जो गुणकरियाविशिप्ट चुद्धि है इसमेंभी विशिष्युद्धि हेतु है
सो हेतुके चलसे विशेषणविशेष्यका सम्बन्धरूप साध्यशी मानो
अर्थोत विशेषण जो रूप जतैर किया और विशेष्य जो घट
उनका कोई सम्बन्धी सानो सो घटरूपका संयोगसम्बन्थ तो
बनता नहीं क्योंकि डव्योकाही परस्पर संयोगसम्चन्ध होता
है इन्यगुणका इच्यक्तियादिका संयोग नहीं झोता इसवास्ते
डव्यगुणादिकोंका समवायहीं मानना होगा इस अनुमान करके
समवायकी सिंदछे होती है । समवायका निरूपण कर दिया
अब अन्ावका निरूपण करते हैं:-
अभावश्वतु्विथः 1 प्रागभावः अष्वेंसाभावोत्ये-
ताभावोन्योन्याभावथ्येति ॥
अभाव जो पदार्थ है सो चार भकारका है । एक तो भाग-
औआव है, दूसरा भध्वेसाभाव है, तीसरा अत्यन्ताज्ञाव है, चौथा
बन्योन्याभाव है । “भावशिन्नत्वममावसामान्यलझषणस् ”
सर्थाद् जो भावपदार्थसे भिन्न हो उसीका नाम अप्ताव है यह
अन्ावका सामान्यलसण है अभावमानमें. रहनेवाला, और
भत्वेक अन्नावके विशेषलक्षणकों आगे आपही बन्थकार लिखेंगे
इसवास्ते यहां पर नहीं लिखते हैं “घटी ध्वस्तः”” घटनाश
हो गया इस मतीतिका विषय भष्वंसाभाव है, “घटी मविष्य-
लि भर्थाद् इन कपालोंमें घट होगा इस मतीतिका विषय
आगभाव है, “घटो नास्ति”” इस जगामें घट नहीं है इस म-
तीतिका विषय अत्यन्ताशाव है, ““घटो न पटः” घट जो है
सो पट नहीं है इस भतीविका विषय अन्योन्याज्ाव है ॥ मन्ता-
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