बृहत् कल्पसूत्रम् | Brihat Kalpasutram

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Brihat Kalpasutram  by कान्ति विजयजी - Kanti Vijayji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रासंगिक निर्वेदन। इंचनी अने पहोछाई २॥ इंचनी छे । प्रति छांवी होई श्रण 6 गा द 24 ०2 एना अंतमां ठेखकनी पुष्पिका वगेरे कद्यं नथी । आ भ्रति संज्ञा `` अमे ता० राखी छे । पुस्तक वांधवानी वेकाल्जीने परिणामे भ्रति वणी मेक सखिंति एकंदर सारी छे | आ प्रति अमे, भंडारनी संरक्षक शेठ-धर्म चंद-अभेच॑दनीन्‍्पेटी-८-< द्वारा मेव्ववी छे । < छ्वितीयखंडनों विभाग ( ^ उपर जणवेर द्वितीयखंडनी सात प्रतिओनो अमे अस्तुत संशोधनमां उपयोग क्यो छे । आ सात प्रतो पैकी भा० प्रति सिवायनी बधीये प्रतिओमां 'ह्वितीयखंडनी शरुआत मासर्केरपग्रकृत पूर्णं थया पछी वगडाप्रदतथी थाय छे, अयारे भा० प्रतिमां ह्विंतीय- खंडनो प्रारंभ मासकद्पग्रत पूर्णं थवा पहेखांथी थाय छे (जुओ मुद्रित विभाग २ प्रष्ठ ५९३ टिप्पणी १ ) अने ह्वितीयखंडनी समाप्ति आ साते प्रतोमां जुदे जुदे ठेकाणे करवामां आवी छे । तु०° ३० अने ता० भतिमां द्वितीयखंडनी समाप्ति झुद्वित चतुर्थ विभागना पत्र ११९२ मां तृतीय उद्देशना १७ मा सूत्र अने भाष्यगाथा ४४१३ नी टीका पछी थाय छे ( ओ प्र ११९२ दि० १ ), भो० छे० प्रतिमां द्वितीयखंडनी समाप्ति मुद्रित चतुर्थ विभागना १०१५ पानामां दितीय उदेशना २० मा सूत्र अने ३२३५४ मी-गाथानी टीका पछी मूलसूत्रनी व्याख्या पछी थाय छे (जुओ ४० १०१५ टि० ५), काँ० भ्रतिमां द्वितीयखंडनी समाप्ति झुद्वित चतुर्थ विभागना पत्र ११९१ मां वतीय उद्देशना १७ मा सूत्र अने ४४१२ गाथानी अधूरी टीकाए थाय छे ( जुओ पत्र ११९१ टि० ३) अने भा० प्रतिमां १२०३ पानामां ठृतीय उद्देशना १८ मा सूत्र अने ४४५८ गाथानी अधूरी दीकाए थाय छे ( जुओ ए° १२०३ दि० १) । आ प्रमाणे दस्रङिखित भ्रसोना क्खावनाराओए द्वितीयखंडनी पूर्णता जुदे जदे ठेकाणे करी छ जे.पैकी सामान्यतया त° डे० अने ता० प्रतिना कखावनाराओए द्वितीयखंडनो विभाग एकंदर ठीक पाञ्यो गणाय । वाकीना कखावनाराओए जे विभाग पाड्याछेए केवव्ठ निनिवेकपणे ज पव्या छे, जेमां सूचने के कोद अधिकारने पूर्णं नथी थवा धां एं ज नहि पण चाद गाथानी दीकाने पण पूर्णं थवा दीधी नथी. अस्तु गमे तेम दो ते छतां एटङी वास चोकस छ ' क ज गंथना खंडो पाडनाराओए ' बुद्धिमत्तापूर्वक खंडो पाड्या नथी । परतिओनी समविषमता प्रस्तुत ठत्तीयविभागना संशोधन मादे उपर जणाव्या जव द्वितीयखंडनी र सात प्रतो एकन्न करवामां आवी छे जे चार वर्गमां चहेंचाई जाय छे । अथोत्‌ मो० ले० ता० प्रतिनों एक चर्गे छे, त० डे०' प्रतिनो घीजो वर्ग छे, भा० জীজী बगे छे अने कां० चोथो वर्ग छे। आ चारे चगेनी प्रतिओ एक वीजा बगेनी प्रतिओं साथे पाठमेद्वाल्ठी




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