आत्म-प्रमोद | Aatma-pramod

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Aatma-pramod by ब्रह्मचारी नंदलाल महाराज - Brahmachari Nandlal Mharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 + | 22/22 ९-22-22 22222 2४22८ १७.५ वर्णोनुक्रमणिका । , प्रथमम--साग | पद सख्या अ पठ सस्या ४ १८ अजी ! अब कीजिये निजस्थलको याद । १० १ १९ अजी † अब देखिये निनधमं अ्रभाव्‌ । १० ¢ २० अव नागो प्राणी, फेर हाथ नहिं आता । ११ २१. भव देखो भराणी, घटमें देव विराजे । ११ 0 २६ अनि! चिन विवेक दिनि खोय रहे । १४ | ४२ अब हम निज पद नहिं विसरेंगे । २२ | 0 ५९ अब हम भेदज्ञानं चित ভানী। ३२ 6 ६४ अव हम सम्यच्‌ क निज पायो । ३४ 0. ६६ अव हम ब्रह्मरूप पहिचाना । ३५५ 0 | आ 6 ९ १० आत्म अवाध निरंतर चितै, संत महातम देखहु भाणी ९ १६. जआपनही रमते रमत रहै । ९ ¢ २ ७९, आतम गुणको विकादा सम्यष््टग देखो । , . 3৯. ३३ आतम जगमें परसिद्ध भटक मत भाद । १७ ४ ¢ | ¦ 0 ८.२ 9७,; ओर सव छोदो बातें, गह ले आतमज्ञान । ९ ১ । क | হই काहेको भरम्यो अति भारी, रे मद्‌ । ३४ ७२ कैसे कहूँ गुरुदेवकी महिसा खरी खरी , ३८ 1 ज 2. जान ! जान ! अवरे ! हे नरं आतमक्ानी ॥ : २ ४. जान लियो मै नान ख्यो, आषा भभु मेँ जान ख्यि। ই नट 22 22




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