आत्म-प्रमोद | Aatma-pramod
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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No Information available about ब्रह्मचारी नंदलाल महाराज - Brahmachari Nandlal Mharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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वर्णोनुक्रमणिका ।
, प्रथमम--साग |
पद सख्या अ पठ सस्या
४ १८ अजी ! अब कीजिये निजस्थलको याद । १०
१ १९ अजी † अब देखिये निनधमं अ्रभाव् । १०
¢ २० अव नागो प्राणी, फेर हाथ नहिं आता । ११
२१. भव देखो भराणी, घटमें देव विराजे । ११ 0
२६ अनि! चिन विवेक दिनि खोय रहे । १४
| ४२ अब हम निज पद नहिं विसरेंगे । २२ |
0 ५९ अब हम भेदज्ञानं चित ভানী। ३२
6 ६४ अव हम सम्यच् क निज पायो । ३४
0. ६६ अव हम ब्रह्मरूप पहिचाना । ३५५
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९ १० आत्म अवाध निरंतर चितै, संत महातम देखहु भाणी ९
१६. जआपनही रमते रमत रहै । ९
¢ २ ७९, आतम गुणको विकादा सम्यष््टग देखो । , . 3৯.
३३ आतम जगमें परसिद्ध भटक मत भाद । १७
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9७,; ओर सव छोदो बातें, गह ले आतमज्ञान । ९
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হই काहेको भरम्यो अति भारी, रे मद् । ३४
७२ कैसे कहूँ गुरुदेवकी महिसा खरी खरी , ३८
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2. जान ! जान ! अवरे ! हे नरं आतमक्ानी ॥ : २
४. जान लियो मै नान ख्यो, आषा भभु मेँ जान ख्यि। ই
नट 22 22
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