सर्वोदय | Sarvodaya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सचाई की नह ११
एफ 1 होना द; परन्तु इम विपयमं वट
फलु समिग्ल । सचना यष्ट हैं कि एक-दूसर का
सांसारिक स्वार्थ एक ने होन पर भी एक-दूसरेका
विरोधी दानाया विराधी चन रना जरूरी न्दी
ह ष्फ घर में रोटी के लाल पड़े ४ै। घर सें
माता और उसके चर ४ | दोनो को भव लगी
है शान में दोनो क--माता अर बच्चे फे--स्वार्थ
परस्पर विरोधी ৩। মালা লানী दे तो बच्चे
भरी मरते श्रार चन्यं सान त्तोमों भुमी
रह जानी 8 । फिर भी माता ओर बच्चो में कोड
विशेध नहीं है। माता अधिक चलबती है तो
হেল कारण वह रोटी के डुकड़े को खुद नहीं
गपा डालनी । ठीफ यती वात मनुष्य कं परस्पर्
फे सम्पन्थ फे विषय से भी सममनी चाहिए।
হাতে देर के लिए सान लीजिए दि सनुप्य
নাহ অত से कोट लन््तर नहीं | হয पशुओं
की नर पपन- अपने সান के लिए लड़ना ही
লাতিন, | লগ भी यड़ घात नियम रूप में नहीं
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