हिंदी विपूवकोष : भाग 21 | Hindi Vipuvakosh : Bhag 21
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
47 MB
कुल पष्ठ :
768
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'बहन-वहिरद्
वहन ( सं० की०) उद्यतेप्नेमेति वह-करणे व्युट । १ दोड़,
तरेंदा, वेहा ।२ खींच कर अथवा सिर या कंधे पर
छाद् कर पक जगहसे दूसरी जगद्द के ज्ञाना। ३ ऊपर
केना, उडाना । ` 8 कंधे या सिर पर केना! ५ खम्मेके
नौ भागेपिंसे ससे नीवेक्ता भाग । ( ति० ) ६ चाह,
दोनेवाला । | |
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२ असभ्य) २जो पाषतुन হী) জী आादुमिर्थोे रहना न
ज्ञानता हो। ४ भड़कनेवाला ।
वदाँ ( हि० अव्य० ) उस जगद्द, उस स्थान पर। जैसे--
'यहाँ' का प्रयोग पासके स्थानके लिये द्वोता है, गेसे हो
इस शब्दका प्रयेगग दूरके स्थानके लिये द्वोता है ।
वहा ( स'० स्के० ) वहतीति चह-अच् टापू । नदी ।
वहनभड़ ( स'० पु० ) १ टूटो हुई नाव 1 ९ वहननिद्॒त्ति। | चहावी (अ० पु०) सुसलूमानोंका एक सम्प्रदाय जो
चदनीय ( स'० लि० ) |बह-भनोयर् | १ उठा या खींच कर
উজার योग्य ! २ ऊपर छने याग ।
चहन्त (स'० पु०) बहति वातीति बह ( मूबहिवसीति ! उय +
३११२८ ) इति ऋच् । १ वायु ! उदाते इति कर्मणि ऋच् 1
२ बालक ।
वहम ( मऽ पु° ) १ विना सं कर्पके चित्तका किसो वात
ঘহ জালা, मिथ्या धारणा, कूटा खशल 1 २ भ्रप्त 1 ३
` ्यथंको शंका, मिथ्या स देह, फजूल शक !
वहमी (अ० वि०) १ वृथा स देह द्वारा उत्पन्न, श्रम জন্য ।
२ बहम करनेवाला, जो मर्थं स देहम पड़े, किसी वात-
के सगन्धे जो उथं भला बुरा सोचे } ३ शठे लयाल-
में पड़ा रहनेवाला |
बहल ( स० पु०) उह्यतेपनेनेति बहु वाहुलकात्ू अलच ।
१ नौका, नाव । (ल्ि०) २ दृढ़, मजबूत ।
वदलगन्ध (स'० क्ली०) वदलः प्रचुरों गन्घो यस्य | शम्बर
चन्दन |
वदलवक्षुख. ( स ० पु० ) वटानि प्रचुराणि चक्ष षव
पुष्वाण्यस्य । मेपश्टक्गो, मेढ़ासींगी |
वदरत्वच. ( से ० प° ) वहा हृढ़ात्वचा घल्कल॑ ত্য ।
श्वेत लोध्र, सफेद छोध।
हका (स'° स्तो ०) वहानि प्रञुराणि पुष्पाणि सन्त्यस्य
इति, अशे मादित्वादच । १ शतपुष्पा । २ स्थूरला,
बड़ी इलायची । २ दीपक रागकी एक रागिनीक्षा नाम ।
चह॒शत ( अ० स्त्री० ) १ ज'गलीपन, असम्यता, वर्जरता ।
२ पागलपन, वावलापन। ३ उज्नइपन ! ४ विऋलता,
भवरादर। ५ डरावनापन। ६ चित्तकरो অতল,
अघीरता | ७ चहल पहल या रौनक न होना, सज्नाटापन,
उदासी |
बहशो (अ० त्रि १ ज्ञंगलमें रहनेवाला, ज्ञगलो।
अब्दुल चद्ाव नजदीका चलाया हुआ है। अब्दुल वद्दाव
अरवके तज्ञ द नामक स्थान्मे पैदा हुआ था। वह
मुदभाद सादवके स््बोचपदको अखोकार करवा था । इस
मतके यलुयायो किसी व्यक्ति या स्थानविशेषक्त प्रतिष्ठा
नद्दीं करते। अब्दुल वक्षावने अनेक मसज़िदों ओर पवित्र
स्थानोंकों तोड़फोड़ डाला और मुदृस्मद साइवकी कन्न-
फो भी खाद कर फेक देना चाहां था। इस मतके अनु-
यायी अरब और फारसमें अधिक हैं।
चहि; ( स० अधष्य० ) ज्ञों अंदर न हो, वाहर। हिन्दीमें
इस शब्दका प्रयोग भफेले नहीं दोता, समस्तरुपमें दोता
है। जैसे-बहिगेत, बहिष्कार, बहिरज्ः इत्यादि |
वदिः्कुटीचर ( स पु० ) बहिः कुख्यां चरतोति चर-द ।
कुलीर, के कड़ा |
वहिश्शोत ( स'० पु० ) वाहरकां शोतरूता |
चद्विशक्षी (स'० अव्य० ) १ वाह्मतः । २ बहिरसिमुखत ।
वहिःस'स्थ ( स'*० ति० ) वाहरमें अवस्थित ।
वह्धिस्थ (स'° लि° ) वदहिरस्थ, बाषटरफी ओर ।
वहित ( सऽ ि० ) अवदोयतेऽख्येति अव -धान्त, अव.
स्यति लोपः १ अवस्थित। २ ख्यात, प्रसिद्ध |
३ प्राप्त। ४ कृतचहन ।
মহিন (ল'ও সী) নহুনি द्रव्याणीति वह ( अशितादिस्य
इन्नोत्री | उण_81१७२। इति इतर । नौका, नाव ।
चहितक ( स० क्लो० ) चहित खा्थे कन्। जरूबान, नाव,
जहाज |
चह्ितिमडु ( स'० पु० ) हुटो हुई नाथ ।
वहिन् ( स'० ति० ) घहनशीछ ।
चहिनो ( स'० ख्रो० ) नौका, नाव।
वहिस्ड्र ( स० पु० ) १ शरोरका वाहरीभाग, देहका वाहरी
हिस्सा । २ दग्यती 1 ३ जागन्तुक व्यक्ति, कहीं बाहर-
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