श्री पच्चीस बोल का थोकड़ा | Shri Pachchis Bol Ka Thokda
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पीस बोलको भोकड़ी1 ४५३
बेक्रिय श्रीर किसको कहते हैं -0 'जोः छोटे,
बड़े, एक, अनेक आदि नाना प्रकारके-श्री-
“शकों करे, देव ओर नारकियोके -शयीरको
वेक्रिय शरीर कहते हैं; अथवा सटे. नहीं, पड़े
नहीं; विनास पामे नहीं. विगंडे नहीं,मंरनेके
बाद कपूरकी त्तरह विखर जाय, उसको-वेक्रय
:श्रीर कहते हैं।
“आहारिक श्रीर किसको कहते है ? -छहू
अशुणस्थानवर्ती -मुनिके- तत्वोमें. कोई शा
নবীন केवली यु श्रुत केवलीके निकट् जानेके
: लिये मस्तक्से जो एक हाथका पुतला निक-
=लता है. ( कोई लब्धि धारी मुनिराजः अप्र-
, मोद करीने ज्ञान भर्या -परमाद् करीने ज्ञान
- वि्तरजन होःगया. कोई विंचच्षण चतुर पुरुष
आयने प्रशन पुयो उस वखत, सुनिराजको
उपयोग लाग्यो नहीं जद आपसे शरीर मांयसं
५.एक् हाथरोःपतलोःनिकास्थो ;उस; पूतलेको
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