राम वर्षा [द्वितीय भाग] | Ram Varsha [Dwiteey Bhag]

Ram Varsha [Dwiteey Bhag] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अस्तावना, [টি पढने से कुछ समय निकाल कर तोथ रामजी भी उप्त कया को दत्त नित्त हो सुना करते थ॥ स्कूल को पढ़ाइ से आतनेरिक्त जो भी समय मिलता, उसे तीर्थ राम जी उन्हीं महायुरुप के सत्संग में ध्यतात कदेते थे॥ भगत जी की प्रेम भरी और सुरीढी कथा, उन की निय पंङगति जार उपर ने वाल्क ती राम जी के चित्त पर कुछ रेता पावर उद्धा दुय पमथके चयि उह सरि के सारे भगत जी के हो लिये। और तन, मन, घन से उन की सेवा प्रेम पूर्वक करने लो ॥| वह अपने हृदय में भगत भी की यहां तक प्रतिष्ठा करते थे कि कोई भी अपना काम बिना उन की आज्ञा के कद्ावित न करते ॥ भगत जी भी तीथ राम जी की श्रद्धा भक्ति ओर सेवा से इतने प्रसन्न रूते थे क्लि वह उन्हें अपना ही অয तथा रूप मानते ओर उन ते अयन्त सेहं कते भे ॥ साथ इस धार्मिक उन्नति के तीथ राम जी अपनी पढ़ाई (अ- घ्यूयन ) में भी बड़े चतुर ओर अद्ितीय रहते थे | स्कूल की सत्र अ्ेगियों में सवेदा प्रथम ही रहे | मिडिछ और इन्टट्रैन्स की परीक्षा




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