पाणिनिकालीन भारतवर्ष | Paninikalina Bharatavarsa

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Paninikalina Bharatavarsa by वासुदेव सरना अग्रवाल - Vasudeva Sarana Agrawala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(भ विपय सूची यध्याय १: पाणिनि ओर उनका शास्त्र १-३५ स्याऊरण ৭) ঘাজিনি নয মহা जीर भश्टध्यायी का सटरव २ » पाणिनि के विपय में कात्यायन का रशएिफोण ७, पतक्षति का इश्टिफोण <) प्लाखफार का नाम १३, दाखातुर $४, पाणिनि फे णीवनसूत्त से सम्बन्धित धनुश्रुति, संडब्रीमृूठफरप १५, चीनी यात्री युतान्‌ ভুলা লা বন 2) সাহীন यार्त रौ उत्पत्ति १७, साहित्य का विस्तार, ऐन्द्र ब्याज़्र्ण 44, पाणिनि के पूर्व के थनन्‍्प्र जाचार्य, शब्द विद्या की नत्काडीन छ्रस्धा १९, कलाचाय কী হল্সী २०, पाणिनि और मह्देश्वर, पाणिनिकृत অন अष्टाध्यायी का अंथ परिस्शण २१, सवेद पारप शाख २२, पारलिपुत्न की शास्तक्वार परीक्षा २७, धि6द्वार्नों का सम्मान २७, कंब्रि पाणिनि, घास का नाम २६, भठझपाद २०७, गणपाद २५, काशिजा से पाणिनीय परम्परा की रक्षा ६३६, सूर्धाभिदिक उदाहरण, सर्जों के शिक्षाझ घाशिनि ३३, सूर्झों पर भारस्मिक बृत्ति का स्वरूप ই । अध्याय २१ पाणिनिकालीन भगोद्ध ३४-८७ परिच्छेद 2: विपय प्रवेश ३६६, घष्टाध्यायी की भोगोलिक सामग्री का वर्गाकिरण ३४1 परिच्छेद २: देश--भीगोलिक सीमाविस्तार ४०, उदीच्य जर प्राच्य ४१। परिच्छेद ३ : पवेत, वन अर्‌ नदि्यो--पर्वन ४२, चन ४७, नदी, सुवास्तु, प्रिन्छु ४९, मिथ उदूध्य ५१, देविका, सजिरवती, सरयू , व्वम॑ण्वती, दारावती ५२, रुमण्वत्‌ , रथतस्या, उदुम्दरावती, मद्राङाव्रती ५२, पुष्फरावती, वीरणावती, इष्मती, हुमती ५४; धन्व ५५। परिच्छेद ४ ; जनएद--जनपद्‌ सूचियों ७०, जनपद नामो के जोदे, जनप- दुवाची नार्मों के बहुब॒दन ५८, जन, जनपद, जनपढिन--इनका क्रमिक विकास ०९, कम्बोज ६०, प्रकण्य, गन्धार ६१, सिन्धु ६२, सौवीर ६२, बाद्यणकः ६४, कारस्कर, कच्छु ६५, कर, मद्व, उश्षीनरं ६६, अग्वष्ट, त्रिगतं ६७, कटकूट ६८, भारद्वाज, रघु, कुर, सालय ६३९, साटाव्रयय, उदुस्वरर, तिटखखरः ७१, मद्रकार, युगन्धर, भूरिद्ग, ्रदण्ड ७२, प्रस्य्रध्र, अजाद्‌, कोसक, काञ्चि ७३, उनि, मगध, करिग, सूरमघ्, जवन्ति, न्ति ७४, अरमक, भौरिकि, वर्वर, कश्मीर, उरा, दरद्‌, गव्दिका ७५, किष्किन्धा, पटच्चर, यक््लोम, सर्व॑सेन ७६ ! २ पा० भू




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