आंसू | Aansoo

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Aansoo by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आंसू कितनो निजंन रजनो में तारों के दीप जलाये स्वरगड्रा को. पारा में उज्ज्वल उपहार चढ़ाये | गौरव था, नीचे आये प्रियतम मिलते को मेरे में इठहला उठा अकिश्वन, देखे ज्यों खनन सवेरे | मधु राका सुसक्‍याती थी पहले देखा अध तुमको परिचित-से जाने क्वं फे तुम लगे उसी क्ण हमको ! १७




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