मालवी : सीमा और क्षेत्र | Maalvi : Seema Aur Kshetra
श्रेणी : इतिहास / History, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about क्षेमचन्द्र 'सुमन' - Kshemchandra ' Suman'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मालवी सीमा और क्षेत्र १६
পচ
নুন পম ভিশী লী সাথ নহী হীনী লরাছিহ | নর্ী “দাদা হাত গা
सीमाओं के साथ লঘনা গলা करतौ गद् | रिन्तु इनन उेख अवन्तिश
(उप्तरिनी) दो रहा | राजकीय गोरदव प्राप्त तरने के फल स्वरूप नाटर्सों मे
प्रवन्ती-प्रवृत्ति का प्रचार मी हा । शराचशेफर के अचुमार पदन्ती-प्रदति
रा प्रचार विदिशा, सीणठ, मालवा, अदुद, भगुक्च्छ সানি जनयतो
শা।খ দিল্তুগবন্নী-্ श्रण बन-भात्रा के साथ छिंचती चली | गजफीय
शिगिलता ने ऋमश दमे स्वाभाविक विव्गस से योग दिया | जन-यागणी के
रपे श्रवन्तिजा प्रवाहित टोती रदी । धतः श्राज जे मालवी मालउ-प्रदेश
मे प्रिनान है बद उसी श्रवन्तिजा की वंशना मिद होती टै । दनी प्रत्ग्णमे
मानम क्न उल्लेख श्रावश्पक है । मालवी को क्तिपय विदार्नो ने माल नी
भाषा माना है। बताया गया हैं मालव वर्तमान मालाम उत्तर दी प्रोर से
थ्राए थे। इनके গ্বাননন गा समय लगनग दूसरी शताब्दी निश्चित किया
गाता | ছিন্ন कुछ नये प्रमाणों से मालरगणों का दूसरी शताब्दी के पूर्व
मालवा में होना निस्त पेता) ग्योन्वल यही ध्यान सपा जाप हि
श्रन्ती-प्रेय राउकौय सोमा न ग्योतक ९, क्र मालया उसके प्रनागंत एव
जनीप सरकृति वा শুলান-জন্যর | ग्रयश्य ही श्रयन्ती-प्ररेश की रार्मीय
भाषा झु्ठ नगस्वून रही होगी एव হি उमीफे समानान्तर ज्न-भापा श्रपने-
स्पासायिदि रूप मे गतिशील थो। दोनो में उतना श्रन्तर होगा रितिना
সামনা চনে लिपिदद मरा प्रौ छा दी मगठी मे देगते हैं |
“হালি শা টিল্বাবী से द्रभिदत रोप्र टर ইনি के शब्दों में थी
মনননয उपायाए ने प्रय्ती थो चोदा दुःन्य न्द म्वीतार पन्त
एए पालि-रिट्यों वो 'पयन्ती प्राइत मे लिखा गया घोदिद দিলা ৮1৭ ৭
प्रपा शार प्रचार पर टबलम्श्ति था, कार प्रचार के लिए চলল
६, तिल सोड्वन्तीन प्रयुब्ययात्त यात्रावन्तीयदिश नुराष् লারা
चुद रगुरस्टन्दया जनपदा. 1 কাহিল গাও ३, वृष्टः
(गान प्राग सार संर १ )1
२ 'ग्राधीत चारत या एनिदास', एप्ट १०० ।
¢ ~ = ॐ
~ ইং
শি
৮7
৬
~र
४५ ४८
চি]
१
User Reviews
No Reviews | Add Yours...