बौद्ध कलाकृत्य | Bauddha Kalakritya

Book Image : बौद्ध कलाकृत्य  - Bauddha Kalakritya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कुमारी विद्यावती मालविका - Kumari Vidyavati Malvika

Add Infomation AboutKumari Vidyavati Malvika

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१७ केन्द्रित हो गये थे। घम्मपदहुकयाभ्नो' मेँ वणित निम्नलिखित कथा इन दोनो राजवशों एवं जनपदों के वैसव तथा पारस्परिक सम्वन्धो पर पर्याप्त प्रकाश डालती है -- “उज्जैनी में चड प्रद्योत नामक राजा राज्य करता था! एक उसने उद्यान में जाते हुए, अपनी सम्पत्ति को देख--क्या श्रौर किसी की एसी सम्पत्ति है?” ऐसा मनृष्यो से पूछा ।” “यह क्या सम्पत्ति है? कौशाम्वी में उदयव राजा की सम्पत्ति बहुत वडी है।” “वो में उसे ले लूगा।” “ग्राप उसे नहीं ले सकते |” “जो कुछ भी कर के लेंगे।” “देव आप नहीं ले सकते।” क्यो? वह्‌ हस्ति-कन्त नामक शिल्प को जनता है। मत्र को जप कर हस्तिकान्त वीणा को वजाते हुए हाथियो को मगा मी देता है। पकड भी सता है। हस्तिवाहन से युक्त उसके समान दूसरा कोई नही है। उसे लिया जा सकता है। देव 1 यदि म्रापका यह्‌ दृढ निर्चेय है तो काष्ठ की हस्ति का निर्माण कर उसके समीप के स्यान में भेजिय । वह हस्तिवाहन या श्रश्ववाहन सुनकर दूर तक भी जाता है। उसे वहाँ श्रानें पर पकडा जा सकता है ।” राजा ने इसे सुनकर --यह उपाय है।” सोचा और काष्ठमय यप्च हस्ति वनवा वाद्य भाग को वस्त्र-खडो से लपेट, चित्रित कर के उसके राज्य मे समीपस्य स्थान मे एक तालाव के




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now