पलासी का युद्ध | palasi ka yaudh
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
172
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १५ )
उन्होंने उस कविता को 'एजुकेशन गैजूट के सम्पादक वाबू प्यारीचरण
सरकार को दिखलाया । सरकार महाशय दूसरे ही दिन नवीनचन्द्र के
क्लास में पहुँचे ओर उनकी खूब प्रशंसा करके बोले कि तुम एजुकेशनः
गैज़ंट के लिए सदा कविता लिखा करो । नवीनचन्द्र की कविता पहले
पहल एजुकेशन, गैज़टः ही में प्रकाशित हुई । उनकी पहली ही कविता
देखकर लोगों को मालूम हों गया कि बंगदेश के काव्याकाश मे एकः
नवीनचन्द्र का उदय हुआ है। फिर क्या था, उनकी असाधारण प्रतिभः
पर कवित्व-शक्ति की स्याति शुक्ल पन्च के चन्द्रमा की तरह दिन दूती, रात
चौगुनी चढ़ने लगी.। तब से लेकर अन्त समय तक उन्होंने फुटकरः कवि-
ताओ के सिवा अनेक महाकाव्य, काव्य, खण्ड-काव्य और चम्पू ग्रन्थों कीः
रचना की । इनमें से ये मुख्य हैं: , .
१-अवकाश रज्जिनी, दो भाग... _ १-पलाशिर युद्ध
ই-ানবী . ४-रेवतक
५-कुरुचषेत्र , ` ई-प्रमांत
७-द्ममिताम _ ` स-गीता
, &-चरडी १०-वृष्ट . ,
११-भानुमत ` , १२-प्रवास-पत्र
कवित्वे ` ~` `
वाबू नवीनचन्द्र सेन बड़े अतिभाशाली कवि थे। उन्होंने अपने काब्यों
मे निष्काम धम्म, त्याग धम्म, भगवद्भक्ति ओर विश्वप्रेम के उच द्यादशी.
, का जैसा मनोहर चित्र खवा दै श्रौर सरस तथा मधुर भाषा में जिस
सौन्दयै :और चरित्र की सष्टि की है वह वंगभाषा- के साहित्य में चिरकाल तक.
अमर रहेगी । और पुएयप्रम ध्रुव॒तारा के समान- चंगालियों को प्रकृत-
पथ दि्खिलाती रहेगी । क्या भाव, क्या भाषा, -क्या रसावतारणा समी वातं
में नवीनचन्द्र कविजन-वाज्छित गुणों के अविकारी-थे ।
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