ईसा की सिखावन | Esa Ki Sikahvan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पारस्परिक प्रेम १७
और उनके कल्याण की कामना करनी चाहिए । सारे मनुष्य एक
ही पिता के पुत्र है, सव भाई-भाई हैं, और इसलिए आपको हर-
एक के साथ समान-भाव से प्रेम करना चाहिए ।
“यह है पाँचवाँ और आखिरी आदेश 1”
পি :
पारस्परिक प्रेम
और ईसा ने उन सवको, जो उनकी बाते सुन रहे थे, आगे
बताया कि यदि वे उसके आदेशो का पालन करेगे तो क्या होगा
उन्होने कहा, “यह् न सोचिए कि अगर आप लोगो के साथ
गुस्सा नही करते, सवके साथ रातिपूर्वंक रहते है, पलनी-त्रत
पालन करते है, कसम नही खाते, जो आपको हानि पहुँचाते
है उनसे अपनी' रक्षा नही करते, जो-कुछ आपसे पूछा जाता है,
उसे सच्चे दिल से कह देते है, और अपने दुश्मनों से प्यार
करते हैं और इस ढेग से जीवन चलाते है, तो आपकी जिंदगी
वर्तमान की अपेक्षा अधिक मुदिकल ओर बुरी हो जायगी ।
आपका जीवन वतमान की अपेक्षा वुरा नही होगा, वत्कि
उससे वेहतर ही होगा । हमारे देवी पिता ने हमे यह नियम
इसलिए दिया है कि हम अपने जीवन को बुरा न बनावें, वल्कि
इसलिए कि हमारा जीवन सच्चा जीवन हो ।
“इस शिक्षा के अनुसार रहो, प्रभु-राज्य का उदय हो
जायगा और आपकी सब आवश्यकताएँ पूरी हो जायंगी ।
“परमात्मा ने पछियो और जगली जानवरों के लिए नियम
बना दिये है और जब वे उन नियमों के अनुसार रहते है तो
उनका सिलसिला ठीक चलता है । आपका भी सिलसिला
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