प्रवचन सार | Prawachan Saar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(৫৫-০৩-০৬০০ प्
पीठिका । ७ $
৪৪৮৯ প্
सो पराभृत्तको भूतबलि पुष्परद,
दोयमुनिको सुगुरुने पढ़ाया |
तास अनुसार, षटखंडके सूत्रको
बांधिके पुस्तकोंमें मद़ाया ॥ ०६ ॥
फिर तिसी सूत्रको, और मुनिश्ृन्द पढि,
रची विस्तारसों तासु टीका ।
धवर महाधवल जयघवर आदिक सु-
सिद्धान्तवृ्तान्तपरमान टीका ॥
तिन हि सिद्धांतको, नेमिचंद्रादि-
1 सआचाथ, अभ्यास करिके पुनीता ।
| रचे गोमइसारादि बहु शास्त्र यह
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दोहा ।
१ जीव करम संजोगसे, जो संखति परजाय ।
1 तासु सुगुरु विस्तार करि, इहां रूप दरसाय ॥ ४८॥ 1
गुनथानकं अरु मामेना, वरनन कीन्ह दयाल ।
भविजनके उद्धारको, यह मग सुखद विज्ञाल ॥४९॥ 1
प्रथमसिद्धांत-उतपत्ति-गीता ॥ ४७ ॥
|
॥
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१ कवित्त छन्द । (३१ मात्रा )
‡
৬...
5৬
| पयीयाथिक नय मधान कर, यहां कथन कीन्हों गुरुदेव । ]
याहीको अश्ुद्धद्रन्याथिक, नय कियत है यों लखि ठेव ॥
‡ ৭ पुष्पदन्त ।
০ ০০০৬৯ 2০৮৮০ ।
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