प्रवचन सार | Prawachan Saar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(৫৫-০৩-০৬০০ प्‌ पीठिका । ७ $ ৪৪৮৯ প্‌ सो पराभृत्तको भूतबलि पुष्परद, दोयमुनिको सुगुरुने पढ़ाया | तास अनुसार, षटखंडके सूत्रको बांधिके पुस्तकोंमें मद़ाया ॥ ०६ ॥ फिर तिसी सूत्रको, और मुनिश्ृन्द पढि, रची विस्तारसों तासु टीका । धवर महाधवल जयघवर आदिक सु- सिद्धान्तवृ्तान्तपरमान टीका ॥ तिन हि सिद्धांतको, नेमिचंद्रादि- 1 सआचाथ, अभ्यास करिके पुनीता । | रचे गोमइसारादि बहु शास्त्र यह | ई ॥ ) 55 ৬৪৯০5 পতি ওটার ৯ ০৪-৯১-৫৫85, ৬ ২০২ (~ 9 1 বত { টি दोहा । १ जीव करम संजोगसे, जो संखति परजाय । 1 तासु सुगुरु विस्तार करि, इहां रूप दरसाय ॥ ४८॥ 1 गुनथानकं अरु मामेना, वरनन कीन्ह दयाल । भविजनके उद्धारको, यह मग सुखद विज्ञाल ॥४९॥ 1 प्रथमसिद्धांत-उतपत्ति-गीता ॥ ४७ ॥ | ॥ ( १ कवित्त छन्द । (३१ मात्रा ) ‡ ৬... 5৬ | पयीयाथिक नय मधान कर, यहां कथन कीन्हों गुरुदेव । ] याहीको अश्ुद्धद्रन्याथिक, नय कियत है यों लखि ठेव ॥ ‡ ৭ पुष्पदन्त । ০ ০০০৬৯ 2০৮৮০ ।




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