राजस्थानी-गध-साहित्य | Rajasthani-Gadh-Sahitya

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Rajasthani-Gadh-Sahitya by डॉ॰ शिवस्वरूप शर्मा - Dr. Shivswaroop Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(भ) सं० १३०० से सं० १४७०० तक और ख-विफास काल सं० १४०० से सं० १६०० तक २-मध्यकाल....ग-विकसित काल सं० १६०० से १६०० तक प-ास काल सं० १६०० से १६५० तक श-नवजागरण काल स० १६५० से उपरान्त । प्रयास काल में गद्य शैली के कई प्रयोग....सभी स्फुट टिप्पाणियों के रूप में प्राप्त...विकास काल में गद्य का रूप स्थिर हुआ....रौली में परिषतेन ....भषा में प्रवाह... कसित काल राजस्थानी छ स्वणेकाल.... कलात्मकः ऐतिहासिक, धार्मिक, वैज्ञानिक दि कई रेतो म गद्य के प्रयोग...बणेक मर्थो टी रचना....बचनिका, दवावैत शादि नषीन शैलियों का प्रादुमाव... 2५७-गल ततोय प्रकरण राजस्थानी गद्य का विकास ...बे दिक संस्कृत काल में गद्य का महत्वपूर्ण स्थान....लोकिक संस्कृत काल मे उसका हास... पाली शौर प्राकृत कालों में पुनः उत्थान . अपश्रश काल में फिर अवसान ... देशी भाषा के उदादरण तेरहवीं शताब्दी से पहले के नहीं मिलते ... उक्ति व्यक्ति प्रकारण तेरहवीं शताब्दी देशी गद्य का सबसे प्राचीन उदाहरण... गोरखनाथ के त्रजभाषा गद्य की प्रमाणिकता संदिग्ध ...मैथिली गद्य का प्रथम प्रयोग ज्योतिरोश्चर ठाकुर की “वृत्त रत्नाकर” र०का० चोदहवीं शताब्दी “वैजनाथ कलानिधि” ₹० का पनद्रहवी शताब्दी कां श्रन्तिमांश ,...मराटी गद्य की प्रथम रचना ... राजस्थानी गद्य साहित्य के आरम्भ और उत्थान में जेन विद्वानों का हाथ....अपने धार्मिक विचारो को गद्य के माध्यम से जन साधारणं तक पहुँचाने का प्रयास.... बिकास की दृष्टि से इस काल के उपविभांग.... ९--प्रयास काल सं० १३५० से १४०० तक २--विकास काल सं० १४८० से १६५० तक ३१-३३ १-प्रयास काल .. इस काल की भाषा को “प्रायीन पश्चिमी राजस्थानी” ऋम् दिया गया है। इस काल में गुजराती और राजस्थानी का एक द्वी स्रकृप रहा। इस




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