तिब्बत में बौद्धधर्म | Tibbat Mein Bauddhdharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शांतरक्षित-युग [ ও
सल-मी स्थान में अपना शरीर छोड़ा । उस की मृत्यु के बाद सम्राज्ञी कोड-जो
की आज्ञा से चीन से आई बुद्ध-मूति भी 5खुल-सनडः में ला कर स्थापित की
गई, ओर आज तक वहीं है ।
सम्राट मढ़-खोड-मड़-बचन् ( ६३८-६५२ ई० )--सम्राट् ख्रोड-बचुन
को, नेपाली रानी खि-चुन् से एक कुमार गुड-लोड-गडः-बचुन् पैदा हुआ
था, किंतु वह पिता के जीवन ही में जाता रहा। पिताके मरने पर चीनी रानी
का पुत्र मड-स्लोड-मड-बचुन् पंद्रह वष को अवस्था में सिंहासन पर बैठा।
पिता के महान् व्यक्तित्व ने इस के काम को यद्यपि ढाँक लिया, तो भी एक बार
इसे अपना पराक्रम दिखाने का अवसर मिला । स्रोड-ब्चन की मृत्यु के बाद,
( यद्यपि नया सम्राट् चीन-राजकन्था का पुत्र था, तो भी ) चीनियों ने भोट
की शक्ति को निबेल समझ उन से युद्ध छेड़ा, किंतु चीनियों को हारना पड़ा ।
धार्मिक बातों मं इस सम्राट् ने तथा इस के पुत्र दुर-स्रोड़ ( ६५२-७० ই০) ল
अपने पूवज कः श्रनुसरण क्रिया । दुर्-स्रोडः ने चोन-सम्राट् की कन्या वुन्-
शिड-कोडः से ब्याह किया था ।
खि-लदे-गचुगू-बतेन ( € ७०-७५२ )--अपने पिता दुर्स््रोडः के बाद
राजगद्दी पर बैठा । इस बार भी चीन ने अपने खोण हुए प्रदेशों को छीनना
चाहा। गिल्गित के लिए एक खासी लड़ाई छिड़ गई। अब की बार भी
चीन को हारना पड़ा । चीन-सम्राट ने अपनी कन्या चिन-चेडः (या
ग्यिम-क्य ) को भोट-युवराज 5जदू-छु-ल्ह-दूपोन् के लिए प्रदान किया | जिस
वक्त राजकुमार अपनी भावी पत्नी से मिलने जा रहा था, उसी समय किसी
आकस्मिक घटना-वश उसका शरीरांत हो गया। अंत में राजकुमारी का
सम्राट गूचुगू-बतेन के साथ ब्याह हुआ । इस ब्याह के दहेज में भोटराज को
हाड-हो नदी तटवर्ती चिन-चु ओर कु-ए-इ प्रदेश मिले । ( बलन्-क ) मूलकोष
ओर ( डग् ) ज्ञानकुमार ने इस समय कुछ बोटद्धम्रंथों के अनुवाद किए,
जिन में 'सुबण-प्रभासोत्तम सूत्र” मुख्य था ।
२-शांतरक्षित-युग (७६३-६८२ ३०)
खि-स्रोड-लदे-बचन्ू ( ७०४२-८४ ३० )--सम्राद् खि-लदे-गचुग
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