भारत के त्यौहार | Bharat Ke Tyohaar

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Bharat Ke Tyohaar by सुरेशचन्द्र शर्मा - Sureshchandra Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 18712, ১ ভি 44 রি ¢ ` सवक - र 1. सवत्सरारम्म चेत शुक्ला प्रतिपदा चैत्र महीने की शुक्ला प्रतिपदा को विक्रमीय सम्वत्‌ का पहला दिन मानाजातादहै। इसीलिए इसे संवत्सरारम्भं कहते हैँ । अ्रथवेवेद के पृथ्वी सूक्तम कहा गया है किं पृथ्वी के साथ संवत्सरो का चिर-सम्बन्ध है। प्रत्येक संवत्सर का इतिहास़ हमारे पिछले वर्ष के कार्यो का सूल्या- कन और अगले वर्ष के शुभ संकल्पों का द्योतक है । वेद तो माँ वसुंधरा का यशोगान करते हुए यहाँ तक कहते हैं कि हे पृथ्वी ! तुम्हारे उपर संवत्सर का नियमित ऋतुचक्र घूमता है। ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और बसंत का विधान अपनी-अपनी निधियों को प्रतिवषं तुम्हारे चरणो मे श्रपण करता है। प्रत्येक संवत्सर का लेखा असीम है । माँ वसुंधरा की देनिक चर्या तथा अपनी _ कहानी दिन-रात और ऋतुओं के द्वारा संवत्सर में आगे बढ़ती चली जा रही है। |. ৪ ४ > बसंत ऋतु की किस घड़ी में किस फूल को प्रकृति अपने रंगों की तूलिका से रंगती है, दिन-रात तथा ऋतुएँ किस बनस्पति में माँ वसृंधरा का रस जमा करतो हैं, पंख फेलाकर उड़ने वाली तितलियाँ एवं यत्र-तत्र चमकने वाले पटबीजने कहाँ-सें-कहाँ जाते हैं, किस समय क्रोंच पक्षियों की कलरव-करती हुई पंक्तियाँ मानसरोवर से लौढती हुईं हमारे... _ हरै-भरे लहलहाते हुए खेतों में मंगल करती हैं, किस समय में तीन दिल .... तक बहने वाला प्रचंड फगुनहरा वृक्षों के पुराने पत्तों को धराज्षायी कर देता है, और किस समय पुरवाई हवा चलकर आकाश को मेघधों को छटा से प्राच्छादित कर देती है ? इस ऋतु विज्ञान की कथा विश्व के. कानों में कहते हुए संवत्सर का प्रत्येक पल अपनी तेज़ रफ़्तार सै झ्रागे




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