ऐतिहासिक स्थानावली | Atihashik Sthanavali

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Atihashik Sthanavali by विजयेन्द्र कुमार माथुर - Vijayendra Kumar Mathur

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ऐतिहासिक स्थानावली 5 হৃনইন নহালক্ঈ কং चेनानदापयत्‌” सभा० 31,72; अर्थात्‌ सहदेव ने अपनी दिग्विजय-यात्रा में अंताखो, रोम और यवनपुर के शासकों को केवल दूत भेज कर ही वण्य में कर लिया और उन पर कर लगाया (दिऽ इस श्लोक का पाठांतर--“अटबीं च पुरी रम्यां यवनानां पुरंतथा' है) । अंतुर (जिला औरंगाबाद, महाराष्ट्र ) यहां एक पहाड़ी पर निजामशाहीकाल का एक दुगं अवस्थित है । इसके भीतर मसजिद पर জীহ হলমী पर 1591,1598,1616 ओर 1625 ई० के फारसी अभिलेख उत्कीण हैं । श्रध श्रीमद्भागवत में उल्लिखित एक नदी *““नमंदा चमंण्वती सिध्रधशोणइ्च! 5,19,18 । सिध्‌ , यमुना की सहायक सिंध है और शोण वतंमान सोन । इन्हीं के समीप बहने वाली किसी नदी का नाम अंध हो सकता है । संभव है, यह वर्तमान केन या शुक्तिमती ही का नाम हो। इसका संबंध अंधक से भी हो सकता है जो श्री डे के अनुसार भागलपुर के निकट गंगा में गिरने वाली चंदन नदी है । अंधउ (कच्छ, गुजरात ) इस स्थान से प्राप्त एक अभिलेख में शकनरेश चष्टन और क्षत्रप रुद्रदामन्‌ का उल्लेख है। द्वितीय शती ई० में इन नरेशों का राज्य महाराष्ट्र तथा गुजरात के अनेक भागों में था । रुद्रदामन्‌ का एक प्रसिद्ध अभिलेख भिरनारसे प्राप्त हुआ है । স্মরন (1) महाभारतकालीन गणराज्य जिसकी स्थिति यमुनातट पर थी | यह मथुरा के परवर्ती प्रदेश में सम्मिलित था। श्रीकृष्ण का जन्म इसी प्रदेश के निवासी अंधकों के वंश में हुआ था। महाभारत अनुशासन-पव के अंतर्गत तीर्थ- वर्णन में अंधक नामक तीर्थ का नेमिषारण्य के साथ उल्लेख है--“मतंगवाप्यां यः स्‍्नानादेकरात्रेण सिद्धयति, विगाहति ह्यनालंबमंधक वे सनातनम्‌' | शांति० 81, 29 में अंधकों एवं वृष्णियों को क्ृष्ण से संबंधित बताया गया है--“यादवाः कुकुरा भोजा: सर्वे चांधकवृष्णय:, त्वव्यासक्ता: महाबाहो लोका लोकेड्वराइ्च ये ।' कृष्ण को इस प्रसंग मे संघमुख्य भी कहा गया है--भेदाद्‌ विनाशः संघानां संघ मुख्योसिकेशव (शांति० 81, 25) जिससे सूचित होता है करि अंधक तथा वृष्णि गणराज्य थे । (2) दे० अघ अंधकारक विष्णुपुराण 2,4,48 के अनुसार क्रोंचद्वीप का एक भाग या वर्ष जो इस




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