अनासक्तियोग | Anasaktiyog
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनासक्रियोग
$ १
अर्जुनविषादयोग
जिज्ञासा बिना ज्ञान नही होता । दुःख बिना सुख नहीं
होता । धर्मसंकट--हृदयमथन सब जिज्नासुओंको एक बार
होता ही है ।
স্বলহাচতু डवा
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकूुवेत संजय ।! १॥
श्वतराष्ट्र बोले--
हे संजय ! मुभे बतलाओ कि धर्मक्षेत्ररूपी कुरु-
হীন युद्ध करनेकी इच्छसे इकट्ठे हुए मेरे गौर
पांडुके पुत्रोंने क्या किया ? १
टिप्पणी---यह शरीरखूपी क्षेत्र धर्मक्षेत्र है, क्योंकि
यह मोक्षका द्वार हो सकता है । पापसे -इसकी उत्पत्ति
हैं और पापक़ा यह भाजन बना रहता है, इसलिए यह
क्रुक्षेत्र हे ।
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