उपार्जित क्षण | Uparjit Kshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
671 KB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)च्यम्ञ्रक्ठ ब्की হেল হাছন
झाजकल जब हम बहुत करते हैं प्यार !
प्यार का छल ! !
तट पर शहराती स्वरणिम सांक लहरों पर,
सहसा मैं कुक गया, रूपलुब्ध
एक श्रजौव
वेस्वाद वोध से भर गया मेरा मुख ।
तीव्र राग गंघ श्रध,
करतस में भर कर,
কনে দখা निरीक्षण जो,
लहरों के केश मणि समूहों को,
भर गये करतल में,
श्रनेक मत्स्य कन्याओं के भ्रस्थि शेप,
मछियारों के जाल करने लगे उपहास,
সই श्रो सौन्दयं काम !
खा जाता सुन्दर की भ्रात्मा को असुन्दर जव
रह् जतो है ्रकृति मात्र,
दूर से लावण्य मयी,
किन्तु समीप से घोर दुर्गन्धिमयी ।
रूप का निस्संग पान,
परिधियों की इति है लुब्व !
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