डॉक्टर प्लेतन [एक प्रसिद्ध रूसी नाटक] | Doctor Platon [Ek Prasidh Roosi Natak]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला अक ] [ १३ म॒ मेरा दम घुट रहा है। में वाहर खुले म जाना चाहती हूँ। सूरज का आवाश से निवालकर सुद अपने हाथासेर्म यहा धसीट त आना चाहती हं । मोफ । समत्ताप-मडल वे सैलानी अपने नभ यात्रियों से मैं क्तिनी ईर्ष्या करती हूँ । वे वैसे ऊपर उडते चले जते ह । उवा उगलियाँ अनन्तता की नाडी पर होधी है... मैं भी एवं उडाकू बनूगी । त्तेरेती ओसिपोविच (सोच मे उचा हमा) यह सवता ठीक है जकिए स्त्योपा को और मुझे ता अपनी उंगलिया मरीजा दी नाडिया पर “से रहनी पडेंगी। क्या स्त्योपा ठीक कहता हूँ त ? सपोपा नब्बे हजार नाय्या तेरेती ओसिपोबिच ! हमारी अपनी दुनिया का, हमारे खास समताप मडल बा तो बह द्वार है! आप भो एक उडाके ही हैं । तेरेती ओसिपोविच नही, मैं तो सिफ हवाई अहा तयार केर रहा हूँ, उडोगे तो तुम । वाल्या, कुछ सगीत शुरू करो । उस उडाबे-- सजन क्रेचेट की जम की सतुशी म हम लोग एक गिलास और पीयेंगे अर फिर घर चलेंगे। मारिया तरासोवना हो, नही एसा न कीजिएगा । प्लटने आता ही होगा । तेरे ती ओसिपोविंच वे बित्कुल थक गय होगे | इसब अलावा मेरा काम सुबह सात बजे से ही शुरू हो जाता है। (अपनी नोटबुक ঘহ লত্রত डालते हुए) और कल मुझे बहुत काम बरना हं! वात्या, प्लटन का गिलास कहा है ? वात्या यह, यहाँ । तेरेतो ओत्तिपौविच मेरी प्रिय प्लटन । (उनके गिलास से अपने गिलास को छुआते हुए) सब सम्मति स आपके जम दिन का हम লাম অমল सप्ताह तक के लिए स्थग्रित वर रहे हैं । विन्तु, प्यारे दास्त, म नुम्ह पहले से ही चेतावनी देता हूँ, उस दिन फिर अगर तुम कोई




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