लार्ड किचनर | Lord Kichnar

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Lord Kichnar by चंद्रशेखर पाठक - Chandrashekhar Pathak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१६ लॉड किचनर । भोषण आकार धारण किया था ओर इस अवस्थामें कोण्डरको समुद्र- मेषे निकलना वड हो भयानक्ग कार्यं था; परन्तु बहादुर ` किचनरने इस समय अपने प्राणोंकी ममता त्याग दो, वह बड़ो बोरतासे समुद्रमें कूद पड़ा और बहुत देरतक परिथम करने बाद उसने अपने विख्यात वाहुबलको सहायतासे उसे तरंगोंसे बाइर निकाला । सन्‌ १८७१५ ईखोको १० वौं जुलाईको इससे भो एक भयानक घटना घटो । गेलिनलो प्रान्तं सफेद नामक एक छोटा थाम है, जो मुसल्यानो अधिवासियोंके भिन्न भिन्न कार्योके लिये विख्यात है। ज्योंहो ये वहाँ पहुँचे एक मुसलमान अमोर अपने सहचरोंके साथ इन्हें लूटनेके लिये आ पहुँचा। एक नोकरने यद्यपि अमोरको इस कार्यके लिये रोका भ्रीर बहत तरदसे समभाया ; परन्तु वद तुरतद्ो मार डाला गया ग्रौर कौर्डर जव उरे वचानेङे लिये अग्रसर हुआ तब अमोरने उसका गला जोरसे पकड़ लिया ; परन्तु इसो समय बहाटुर॒ किचनरने वहाँ आकर उस अमोरको ऐसा धक्का दिया कि, बच् दूर जा गिरा ओर उसभे कई दांत टट गये। यह विद षारिन बढ़तो हो गई और अमोर कितने हो मुसलमा- नोंको एकच्रकर इनसे बदला लैनेके लिये बहां आ पहचा । उनमेंसे कितने हो पुरानो चालको बन्टूके लिये इए छे जिन्हें उन लोगोने श्राते हो दागना आरण्य किया । यद्यपि इससे विशेष हानि न इई, परन्तु किचनरको दाहिनो জার্নি হন गोलो लम । इतनेपर भो किचनरने यह भगडा नस््रतासे शान्त कर देनेका बचत कुछ उद्योग किया; परन्तु वे सुसल्मान “ब्रह्न “अह्ना चिल्लाकर “दन क्रिञ्चिवन कुत्तोकोा मारो कहकर सबको कसम देने लगे! यह दलवटृताहो गथा श्रोर कुष शेज वहाँ ऐसे भो आा पहुंचे; जो यह कगडा शान्त करनेके बदले मुसल्मानोंको और




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