मनोवैज्ञानिक परिपेक्ष्य में भारतीय संगीत का सामाजिक एवं सांस्कृतिक अनुशीलन | Manobagyanik Paripeksh Me Bharatiya Sangeet Ka Samajik Awam Sanskritik Anusheelan

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Manobagyanik Paripeksh Me Bharatiya Sangeet Ka Samajik Awam Sanskritik Anusheelan by डॉ. साहित्य कुमार नाहर - Dr. Sahitya Kumar Nahar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(> अपनी जीतन खंमिनी श्रीमती लता नाहर केषुति भी জামা एल्ट कटना चाहमा, -जिन्टौने धरन्‌ टा पित्वो के निर्वहन के साध-जाथ ওলি আসুল্যা শভযীহা ঈ মু তন্ট্রতিল कयि है। अपने अनज श्री শলীঘ नाहर, एड्याल ठायलिन तादक एत॑ कार्थक्रम अध्िासी संगीता आकाशवाणी, इलाहाबाठ, सुपुत्री क. शिल्पी नाहर, শে ঘি হাসিল লাক হত্র বিভিঘাজী कु. न्ती पाठक, तक्‌. पमिति चौधरी के पति भी स्नैहिल आभीर एवं धन्यवाद प्रकट करूंगा, जिनका तहयोग, इस शींध कार्य में, समय-समय पर मक्कै प्राप्त हुआ है। इत शीध प्रबन्ध के হতে হত व्यवस्थित टंका के लिये युवा, कर्मठ व तथोग्य टंकढ़ श्री प्रमोद अग्रवाल के प्रत्ति भी आभार प्रकट कह्ंगा, 'जिन्होंनि हार्टिक रूचि लेकर यह कार्य पृर्ण किया है। अन्त में, उन सभी तहयो गियाँ, गछ्यनों एवं 'विद्वानजनों के प्रति हुटय से कुतब्ता' एवं आभार पुकट करना चाहगा, जिनके प्रत्यक्ष या अपुत्यक्ष स्रहधोग ते इल कार्य को वर्ण करने में युत वेणी श्वं दिशी मिली है। क्लस्वस्व गुख्जनों एवं ईपवर के श्री चरणी मे ब्रद्वादूर्यक्क नमन करते हये अपना यह अद्िविन पृथात शौच प्रबन्ध লুল ढः रहा हू! ২1৫০ চি বত दिनौक : ১1-01-2001 ॥ताहित्व कुमार




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