बुंदेलखंड का संक्षिप्त इतिहास | Bundel Khand Ka Sankshipt Itihaas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चंदेलों का राज्य ( परमाज्ष के समय तक ) 3৩ राजा भहेंद्रपाल के पुत्र जयपाल पर चढ़ाई करने के लिये अपने पुत्र विद्याधर की भेजा था। इसके समय में कलचुरि राजा युवराज ( माहत ) के पुत्र और जयदेव के भाई कोाकन्नदेव दूसरे ने चढ़ाई की थी। खजुराहो में विश्वनाथ के मंदिर में एक शिलालेख मिला है । यह लेख गंडदेव के राजत्व-काज्ञ का है। इसमें मंदिर के निर्माण- कर्ता धंगदेव का नाम और वि० सं० १०४६ लिखा है। इसमें यह भी लिखा है कि गंडदेव गद्दी पर बैठा, जिससे यह निविवाद रूप से पाया जाता है कि धंगदेव के पश्चात्‌ ही वि० सं० १०५६ में गंडदेव गददी पर बेठा था । १३--गंडदेव के पश्चात्‌ विद्याधरदेव राजा हुआ। इससे शरीर कन्नौज के तत्कालीन राजा चिल्लोचनपाल से बहुत दिनों तक युद्ध हाता रहा । सजा भोजदेव भी समय समय पर इसकी प्रशंसा किया करता था। विद्याधर के पश्चात्‌ विजयपाल्ल राजा हुआ | पर इसके विषय मे कोई उस्तेखनीय बात नहीं मिलती । १४ विजयपाल् का पुत्र देववम्मां था जे श्रपने पिता के पश्चात्‌ राजगदी पर बेठा। ननयौरा में विक्रम संवत्‌ ११०७ का एक तान्नलेख मिला है | इसमें देववर्म्मा का विरुद काल्लिजराधिपति लिखा है। इसमें इसकी माँ का नाम भुवनादेवी लिखा है। जिननाथ- देव के एक जेन मंदिर में जे! देववर्म्मा के प्रपितामह के समंय में बना था देववर्म्मा के समय में एक शिलालेख लगाया गया था। इस लेख में देववम्मा और उसके पूर्वजों के नाम लिखे हैं । यह मंदिर खजुराहे में है । १५४--देववर्म्मा के पश्चात्‌ उसका भाई कीति वर्मा राजा हुआ | कीतिंवर्मा का राज्य बहुत दिनों तक रहा । उसका एक लेख देव- गढ़ में विक्रम संवत्‌ ११५४ का है। महोबा के पास का कीरत- सागर नामक तात्लाब इसी का बनवाया हुआ है। इसके नाम के




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