जीवन में सफलता के रहस्य और आत्म दर्शन | Sure Ways For Success In Life And God-Realisation

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Sure Ways For Success In Life And God-Realisation by श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती - Shri Swami Shivanand Sarasvati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ख से आकाश का बोध होता है। अ्रतः खे चरी मुद्रा से आकाश. में चलने की क्रिया सिद्ध होती है। खेचरी मुद्रा की सिद्धि प्राप्त कर हठयोगी आकाश में गसन कर सकता है। गरिमा अष्टसिद्धियों में एक सिद्धि का नाम है, जिसको प्राप्त कर वह श्रत्तिबर भारी हो जाता है। घटाकाश और महाकाश में एक ही झ्राकाश है, उसी प्रकार सभी जीचों में एक ही आत्मा 1 क्‍ चक्र लिज्भ-शरौर में शक्ति के केन्द्रों को कहा जाता. है।' वे छः होते हैं। ভ: লক্ষী के नाम हैं, मूल्ाघार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, श्रनाहत, आज्ञा और सहस्रार द जप का अर्थ है परमात्मा के पवित्रतम नामों का सतत उच्चा- रण करना । जप करने से मन पवित्र होता है तथा एका- ग्रता का भी उदय होता है। मड्भार के समान एक ध्वनि सुनायी देती है। योगी नादयोग में सिद्धि पाने पर इस ध्वनि को सुनता है । टकटकी लगा कर किसी बस्तु पर दृष्टि को स्थिर करने का नाम त्राटक है। ठाकुर जी को भोग लगा कर ही जो स्वयं भोजन करता है, वही ब्राह्मण है । डर को राजयोग के अनुसार साधक की, निर्बलता कहा गया है। इसके निवारण के लिए साहस की प्रतिपक्षीय भावना का अभ्यास करना चाहिए | ढोंग और पाखण्ड योग के दुश्मन हैं, योगी को इनसे बचना चाहिए । क्‍ | तपस्या मानसिक, वाचिक श्रौर शारीरिक- तीन प्रकार की होती है । तपस्या करने से तीनों का परिशोधन होता है। ( चोदह )




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