फाणटामारा | Phantaamara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
201
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ५ |
बाद दूसरी ओर एक वाक्य के बाद दूसरा वाक्य रखने की कला, बुनने'
की प्राचीन कछा के सटश है--उस पुरानी कछा के समान जिसमें एक
धागे के बाद दूसरा धागा और एक रंग के बाद दूसरा रंग सफाई से,
सलीके से, संभालकर रखा जाता है, ताकि सब साफ़-साफ़ देख सके ।
पहले गुलाब का तना दिखाई देता हे, फिर पत्तियाँ, तब कछी और
अन्त में पंखुड़ियाँ। आरम्भ से ही दीख जाता है कि यह गुलाब का
फूड होनेवाखा है, ओर इसी कारण से शहराती हमारी कृति को भरी
ओर असंस्कृत समञ्चते ह । परन्तु कया कमी शहर मे जाकर हमने उसे
उनके द्वाथ बेचने की कोशिश की है ? कभी उन्हें बाजारमे भी रखा
हे ! कभी शहरातियों को हमारी तरह बोलने के लिए कहा दे! नहीं,
कभी नहीं !
तो, प्रत्येक आदमी को अपनी बात अपने ही ढंग से कहने का
अधिकार रहे |
ज्यूरिच, ग्रीष्म, १९३० इग्ताज़ियो सिलोनी
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